Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Nov 2017 · 1 min read

आदमी खुद को ही छलने लगा है, हवाओं में ज़हर घुलने लगा है।

आदमी खुद को ही छलने लगा है,
हवाओं में ज़हर घुलने लगा है।***
पहुँचना चाँद तारों तक मुबारक बात है,
कलेजा भूमि का फटने लगा है
बाँधे नासिका देखो हमारी पीढियाँ घूमें,
यही सौग़ात है बाकी हमें दिखने लगा है
आदमी खुद को ही छलने लगा है,
हवाओं में ज़हर घुलने लगा है।***
बना डाले हैं हमने खूब सारे ईंट के जंगल,
किया पर्यावरण का नाश दो-दो हाथ कर दंगल
जल दूषित, हवा दूषित ज़मीं औ आसमां दूषित
अब तो खुद ही अपना आशियां जलने लगा है,
आदमी खुद को ही छलने लगा है,
हवाओं में ज़हर घुलने लगा है।***
दिन में रात हो जैसे तिमिर का नाश हो कैसे,
हमारी राजधानी को मिले आकाश अब कैसे,
वैश्विक ऊष्मायन दिन व दिन बढने लगा है,
हिमालय आग से गलने लगा है
आदमी खुद को ही छलने लगा है,
हवाओं में ज़हर घुलने लगा है।***

Language: Hindi
228 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from अनुराग दीक्षित
View all
You may also like:
*सिखलाऍं सबको दया, करिए पशु से नेह (कुंडलिया)*
*सिखलाऍं सबको दया, करिए पशु से नेह (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
मायड़ भौम रो सुख
मायड़ भौम रो सुख
लक्की सिंह चौहान
*लव इज लाईफ*
*लव इज लाईफ*
Dushyant Kumar
कुछ अलग ही प्रेम था,हम दोनों के बीच में
कुछ अलग ही प्रेम था,हम दोनों के बीच में
Dr Manju Saini
"प्यार तुमसे करते हैं "
Pushpraj Anant
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
या रब
या रब
Shekhar Chandra Mitra
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
* नाम रुकने का नहीं *
* नाम रुकने का नहीं *
surenderpal vaidya
मैं अकेला महसूस करता हूं
मैं अकेला महसूस करता हूं
पूर्वार्थ
शौक़ इनका भी
शौक़ इनका भी
Dr fauzia Naseem shad
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
दुनिया को छोड़िए मुरशद.!
शेखर सिंह
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
Rj Anand Prajapati
💐प्रेम कौतुक-537💐
💐प्रेम कौतुक-537💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आदमी
आदमी
अखिलेश 'अखिल'
बचपन का प्यार
बचपन का प्यार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
!! शब्द !!
!! शब्द !!
Akash Yadav
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
VEDANTA PATEL
आंखों में तिरी जाना...
आंखों में तिरी जाना...
अरशद रसूल बदायूंनी
ये पांच बातें
ये पांच बातें
Yash mehra
*अविश्वसनीय*
*अविश्वसनीय*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
🌱कर्तव्य बोध🌱
🌱कर्तव्य बोध🌱
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
उलझते रिश्तो को सुलझाना मुश्किल हो गया है
उलझते रिश्तो को सुलझाना मुश्किल हो गया है
Harminder Kaur
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
यूं ही हमारी दोस्ती का सिलसिला रहे।
सत्य कुमार प्रेमी
कृपाण घनाक्षरी....
कृपाण घनाक्षरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
"कारण"
Dr. Kishan tandon kranti
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
इंसान भीतर से यदि रिक्त हो
ruby kumari
■ मुक्तक
■ मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
इक दिन चंदा मामा बोले ,मेरी प्यारी प्यारी नानी
इक दिन चंदा मामा बोले ,मेरी प्यारी प्यारी नानी
Dr Archana Gupta
2278.⚘पूर्णिका⚘
2278.⚘पूर्णिका⚘
Dr.Khedu Bharti
Loading...