Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Dec 2016 · 4 min read

आदमी की औक़ात

सिरे से खारिज़ कर बैठता हूँ,
जब सुनता हूँ की चौरासी लाख योनियों में
सर्वश्रेष्ठ हैं आदमी,
सजीव हो उठती हैं,
नहीं आखों से हटती हैं,
कलियुगी आदमी की भयानक तस्वीर
खुद को जो कहता हैं; सभ्य, वीर, धीर-गंभीर।
कड़वी तुम्हे लगे, शायद मेरी बात;
पर दिखाना जरुरी हैं तुम्हें,
“आदमी की औकात”

आह आदमी !
पेट में आदमी,
मांस के लोथड़े से चिपकता आदमी
बाहर आने को सिसकता आदमी
अंदर लात मारता आदमी
माँ के खाने पर घात मारता आदमी,
बाहर आता आदमी
राम मनाता आदमी।
स्कूल जाता आदमी
डंडे खाता आदमी,
माँ बाप की झिड़की खाता आदमी
जबरदस्ती राष्ट्रगान गाता आदमी,
शाम को लेट सोता आदमी
वजन से ज्यादा किताबें ढोता आदमी,
पड़ोसी के बच्चे की तारीफ सुनता आदमी
हवाई सपने बुनता आदमी,
शिक्षा को ‘अर्थशास्त्र’ बनाता आदमी
संतान को पैसों का ‘ब्रह्मास्त्र’ बनाता आदमी।

ऑफिस जाता आदमी
बॉस की झिड़कियां खाता आदमी
कुत्ता आदमी !
गधा आदमी !
चाकरी बजाता आदमी
प्रमोशन के सपने सजाता आदमी,
“चापलूस आदमी”
बॉस के तलवे चाटता आदमी
परिवार ख़ातिर पेट काटता आदमी,
गधे को बाप बनाता आदमी
थूकता, सड़कछाप चबाता आदमी
बिस्तर पर धम्म से गिरता आदमी
थका-हारा आदमी,
पत्नी और बच्चों की फरमाईशों का
एकमात्र सहारा आदमी।
‘फ़िल्मी आदमी’

फिल्मे बनाता आदमी,
पैसों की खातिर, औरों को हँसाता आदमी
स्क्रिप्ट ढूंढता आदमी,
रात-दिन का उनींदा आदमी
दर्शकों की सीटियों पर जिन्दा आदमी,
वह जो आया बनने; “बड़ा आदमी”
नंगा होने के ऑडिशन में खड़ा आदमी,
आह आदमी !
वाह आदमी !
बच्चों को पढ़ाता “गुरु आदमी”
सर धुनता आदमी,
कल का भविष्य बुनता आदमी
सनकी आदमी, पीटता आदमी
अनुशासन में खुद को घसीटता आदमी,
“बंधा आदमी” !
किताबों में ख़ुद को खपाता आदमी
इच्छाओं का रस दबाता आदमी।

“रक्षक आदमी”
कभी कुछ पैसों ख़ातिर भक्षक आदमी,
पुलिस आदमी, एस. आई. आदमी
सल्यूट मारता, सिपाही आदमी,
अपनी तनख़्वाह से, नाखुश आदमी
घूस लेने वाला आदमी,
जमानत में गरीबों को
चूस लेने वाला आदमी,
भीड़ संभालता आदमी
डंडे बरसाता आदमी,
बचाने मासूमों की जान
खुद पत्थर खाता आदमी,
चौबीस घंटे की नौकरी वाला आदमी
जी नहीं, ‘वह कमिश्नर का साला आदमी’।
अनुशासन की ख़ान,
देश की आन, बान और शान

“फ़ौजी आदमी”,
पी.टी. करता आदमी
सज़ा भुगतता आदमी,
लगा की जैसे दास आदमी
भूला भूख़ और प्यास आदमी,
सीने पर गोली खाता आदमी
पेंशन की झोली पाता आदमी,
घर से दूर आदमी
हालातों से मज़बूर आदमी,
अपने किस्से सुनाता आदमी
दो पैग से गम भुलाता आदमी,

रिटायर्ड आदमी
सबके लिए हिटलर आदमी
फौजी रूल झाड़ता आदमी,
गुस्से में बच्चों को ताड़ता आदमी
शेक्सपीयर का पैंटालून आदमी,
पजामा और पतलून आदमी !

कथा बांचता आदमी,
फ़िल्मी धुनों पर नाचता आदमी
बाल बढ़ाता आदमी,
मंच से अकाउंट डिटेल्स बताता आदमी
‘आशाओं के राम’ बनाता आदमी
रात के बारह बजे ‘काम’ बनाता आदमी,
आगामी डेट फिक्स कराता आदमी
पैसों और प्रवचनों को मिक्स कराता आदमी,
ढोंगी आदमी,
पाखंडी आदमी,
वासना से भूत भगाता आदमी
खुद को देवदूत बताता आदमी।
लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ आदमी,
पत्रकारिता का भरता दम्भ आदमी

“पत्रकार आदमी”
हाँ, हाँ, चाटुकार आदमी,
माइक को पकड़े गली-गली घूमता आदमी
बाहुबलियों के तलवे चूमता आदमी.
ख़बरों में तड़का लगाता आदमी
न्यूज़ की बैंड बजाता आदमी
ब्रेक लेता आदमी;
ईमानदारी में पिसता आदमी,
रिपोर्टिंग में जूते घिसता आदमी
रातों में कुत्ते की नींद सोता आदमी,
सावधान, सचेत आदमी,
बेबस कंधे पर कैमरा ढोता आदमी।

नेता आदमी,
‘वोट लेने वाला आदमी’
सोने के बदले खोट देने वाला आदमी,
भागता फिरता आदमी
जनता के नोटों से, थैलियां भरता आदमी
प्रमोशन को तरसता आदमी,
कार्यकर्ताओं पर बरसता आदमी
प्रमोशन पाता आदमी,
डिमोशन का झापड़ खाता आदमी
पांच साल जनता को नचाता,
“मदारी आदमी”
उसके बाद वोटों वाला ‘भिखारी’ आदमी
दंगे करवाता आदमी,
हिंसा भड़काता आदमी
वाह रे वाह ! नेता आदमी !

“कवि आदमी”,
खुद को समाज की बताता छवि आदमी
शब्द-जंजालों में उलझा आदमी,
‘खुद में सबसे सुलझा आदमी’
कवि सम्मेलनों की बाट जोहता आदमी,
तर-बतर हो जाता, श्रोताओं को मोहता आदमी
सभा को सुलाता आदमी,
जूते-चप्पल खाता आदमी
विनम्र आदमी; साहित्यिक सरल आदमी,
निज अपमान का पीता गरल आदमी।
बादलों को ताकता आदमी,
बूंदों में अपना भविष्य झांकता आदमी

“किसान आदमी”
सदैव विपरीत परिस्थितियों का शिकार;
हल चलाता आदमी,
पसीना बहाता आदमी
विधाता की उम्मीदों पर पलता आदमी,
लाडो विवाह की चिंता में जलता आदमी
खुद का पेट काटने वाला आदमी,
सबको रोटी बाटने वाला आदमी…
आह रे ! आदमी
‘मेरे’ किसान आदमी !
सच को झूठ
और झूठ को सच बनाने वाला आदमी,

“वकील आदमी”
काले कोट वाला आदमी,
न्याय बेचने वाला आदमी
अजी हाँ ! बेचने वाला,
गरम जेब से नोट खेचने वाला आदमी
झूठ सच के बीच पैसों के लकीर खीचता आदमी,
पेट खातिर ज़मीर बेचता आदमी
अधिवक्ता आदमी,
‘आधा बोलने वाला’ आदमी
न्याय को पैसों पर तोलने वाला आदमी।

सत्तर का आदमी,
अस्सी का आदमी
बूढा, खड़ूस, ‘बच्चा’, सनकी आदमी,
रोगों से लड़ता आदमी
अपनों से झगड़ता आदमी
फालतू आदमी !
घर के लिए
बोझ आदमी
घर को कन्धों पर उठाने वाला,
अब गिरने वाला रोज़ आदमी
अपना सबकुछ खोता आदमी
सिमटता जीवन देख अकेला,
सिसककर रोता आदमी.. .
जर्जर होता आदमी
छोड़कर एकदिन इस जगत को
विदा होता आदमी
मिट्टी से जन्मा, मिट्टी से जुदा होता आदमी …

जो सत्य धरातल पर देखा
वो सत्य है कड़वी बात
चुभता सदा यथार्थ ही हैं
और कुछ हटकर जज़्बात
जीवन की भूलभुलैय्या में,
मत अहंकार का देना साथ
आखिर समझनी ही होगी तुम्हे,

आदमी की औकात !
– © नीरज चौहान की कलम से

Language: Hindi
2 Comments · 607 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मृत्युभोज
मृत्युभोज
अशोक कुमार ढोरिया
दो शे'र
दो शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
चारू कात देख दुनियां कें,सोचि रहल छी ठाड़ भेल !
चारू कात देख दुनियां कें,सोचि रहल छी ठाड़ भेल !
DrLakshman Jha Parimal
सत्य क्या है?
सत्य क्या है?
Vandna thakur
यादें
यादें
Johnny Ahmed 'क़ैस'
दीपों की माला
दीपों की माला
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
Neelam Sharma
सदा ज्ञान जल तैर रूप माया का जाया
सदा ज्ञान जल तैर रूप माया का जाया
Pt. Brajesh Kumar Nayak
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
गहरे ध्यान में चले गए हैं,पूछताछ से बचकर।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कविता (घनाक्षरी)
कविता (घनाक्षरी)
Jitendra Kumar Noor
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
*छ्त्तीसगढ़ी गीत*
Dr.Khedu Bharti
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
सज्जन से नादान भी, मिलकर बने महान।
आर.एस. 'प्रीतम'
तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मै कैसे
तेरे मन मंदिर में जगह बनाऊं मै कैसे
Ram Krishan Rastogi
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️नोट : दिनांक 5 अप्रैल 2023 से चल रहे रामचरि
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️नोट : दिनांक 5 अप्रैल 2023 से चल रहे रामचरि
Ravi Prakash
यह आखिरी खत है हमारा
यह आखिरी खत है हमारा
gurudeenverma198
मेरे जैसा
मेरे जैसा
Dr. Pradeep Kumar Sharma
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
काल चक्र कैसा आया यह, लोग दिखावा करते हैं
पूर्वार्थ
जानते वो भी हैं...!!
जानते वो भी हैं...!!
Kanchan Khanna
*****देव प्रबोधिनी*****
*****देव प्रबोधिनी*****
Kavita Chouhan
#दोहा-
#दोहा-
*Author प्रणय प्रभात*
उसे मैं भूल जाऊंगा, ये मैं होने नहीं दूंगा।
उसे मैं भूल जाऊंगा, ये मैं होने नहीं दूंगा।
सत्य कुमार प्रेमी
// दोहा पहेली //
// दोहा पहेली //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
उपेक्षित फूल
उपेक्षित फूल
SATPAL CHAUHAN
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
साधना से सिद्धि.....
साधना से सिद्धि.....
Santosh Soni
जन्म दिवस
जन्म दिवस
Aruna Dogra Sharma
🌷🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🌷
🌷🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏🌷
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
डॉ. दीपक मेवाती
हर बार बिखर कर खुद को
हर बार बिखर कर खुद को
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Loading...