— आत्महत्या —
न जाने क्या क्या
मन में पाल कर
रख लेते हैं लोग
न जाने क्यूं
इस से मजबूर होकर
आत्महत्या कर लेते हैं लोग
नही है हल कि
आत्महत्या का कदम
इतनी आसानी से उठा लो
जब तक सांस है
तब तक अपने हमसफ़र से
दिल की हर बात बता लो
नही चलती है जिन्दगी
अगर साथ साथ में तो
उस के बीच का रास्ता अपना लो
आत्महत्या करने से अच्छा है
कम से कम जिन्दगी तो बचा लो
दुःख से भर जाता है मन
ऐसी घटनाओ को पढ़कर,सुनकर
मत उठाओ यह कदम
उप्पर वाले के खौफ्कफ़क से कम से कम
यह कदम पीछे हटा लो
अजीत कुमार तलवार
मेरठ