आत्मचिंतन
आत्म चिन्तन मानव मन को
उर्जावान बना देगा
कुम्भकर्णी निद्रा से तन को
पल में मुक्त करा देगा।
विकट डगर या, कठिन स्थिति
सबका भान करा देगा
आत्मज्ञान की गंगा में हमें
डुबकी तक लगवा देगा।
धर्म अधर्म पहलू जीवन के
अन्तर वो बतला देगा,
पाप पुण्य के भवबाधा को
पल में पार करा देगा।
गर चिन्तन जो किया हृदय से
जीवन धन्य बना देगा
मन भीतर जो क्रोध पल रहे
शीतल उन्हे बना देगा।
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
13/4/2017