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11 Nov 2017 · 1 min read

आत्मग्लानि

लघु कथा

आत्मग्लानि

“मां.. मां देखो एक ट्रक आकर रूका है अपनी खोली के बाहर.. जल्दी आओ।” छ: साल का भुवन हाईवे की तरफ से दौड़ता हुआ आया। “अरे तू इतना क्यूं चिल्ला रहा है भुवन?”भुवन की मां ने पूछा। तभी मां नजर ट्रक ड्राईवर पर पडी़। उसे देखकर वह थोड़ा मुस्कुरायी और भुवन से बोली, “ये ले दस रूपये और जा ढाबे से कुछ लेकर खा ले।” भुवन की मां कुछ देर के लिए ट्रक ड्राईवर के साथ खोली के अंदर चली गयी। पन्द्रह -बीस मिनट बाद जब वह बाहर आई तो उसने देखा भुवन हंसता-खेलता कुछ खाता हुआ आ रहा था। ट्रक ड्राईवर को देखकर भुवन ने कहा,”अंकल आते रहा करो … आप जिस दिन आते हो उस दिन मां मुझे दस रूपये देती है अपनी पसंद की चीज खाने को।”
ट्रक ड्राईवर को उसकी मासूमियत भरे शब्द सुनकर आत्मग्लानि होने लगी।

आरती लोहनी
#510,वार्ड न 1
पूजा गैस गोदाम के पास
कुराली,मोहाली
पंजाब 140103

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 407 Views
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