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24 Feb 2018 · 1 min read

आज वचन दो

कलयुग में रहकर हम बहना
कैसे विश्वास जगाएं
हमारी रक्षा भाई करेगा
भाग्य कहां हम ऐसा पाएं
आज तुम राखी बंधवा लोगे
कल कहां निभाओगे
किसी नुक्कड़ पर देख बहनों को
क्या तुम सीटी नहीं बजाओगे
तुम्हारी ही करनी से देखो
हम बहने बदनाम हुईं
पाप तुम किये जाते हो
हमारी इज्जत नीलाम हुई
तुम करो, हम सहते जाएं
कैसे-कबतक तुम्हें बचाएं
कलयुग में रहकर हम बहना
कैसे विश्वास जगाएं।

रक्षा बंधन को तुमने क्यों
समझ लिया है खेल
आज बंधवाओ कल फेक दो राखी
फिर कैसे होगा मेल
तुम ही नहीं समझ रहे
फिर मैं किसे समझाऊंगी
तुम ही मजनू बने फिरते हो
कैसे अपनी लाज बचाऊंगी
तुम बदलोगे, आज वचन दो
या फिर छल कर जाओगे
मेरे हाथों राखी बंधवा कर
कलंक तो न लगाओगे।

Language: Hindi
579 Views
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