आज के दोहे
क्रोध कभी न कीजिए,रखें शान्त स्वभाव
प्रतिक्रोधी घातक अति,सुशांत में है बचाव
लोभ मोह में कुछ न धरा,जनसेवा रहत कमात
संसेवा का मेवा मिलेगा,रहत सेवादार जमात
मीठे बोल सदा बोलिए, कड़वे न बोलो बोल
बोल से पहले तोलिए,तोल तोल के फिर बोल
क्लेश द्वैष मत कीजिए,प्रेम रस सदा घोल
प्रेमवर्षा सर्वदा कीजिए, नहीं प्रेम का मोल
प्रेम वियोग की चुभन से,होता रंज आपार
प्रेम संयोग सर्वदा ढूँढिए,देता सुख आपार
प्रेम रोग सबसे बुरा ,बूढे कर देवे हाड
तन मन को व्यथित करे,दिल देवे फाड
प्रेम प्याला पीजिए .सदैव प्रेम फैलाएं
प्रेम सागर में डूबिए,प्रेमरस रहे पिलाएं
सुन्दर नारी देख कर ,गलत नजर न ललचाएं
मान सम्मान कर नार का,ईज्जत सर्वदा कमाएं
जग में लालच है भरा, चाहे कोई हो रिश्ता नाता
जब तक जिसको दीजिए, अच्छा रहे कहलाता
ध्यान बिन ग्यान नहीं, ग्यान बिन नहीं इन्सान
ग्यान ध्यान प्राप्त कर,बनिए अच्छे इन्सान
मोह माया जग ठगिनी ,ठगे हैं सब लोग
जो जन भी बच गया,अच्छा जीवन भोग
करत करत व्यायाम से, काया बने सुडौल
तन मन स्वस्थ्य रहे,हर काहे की रहे मौज
सुखविंद्र सिंह मनसीरत