आज कल और आज
पुरातन वर्ष को अलविदा ? नववर्ष की शुभकामनाएं
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कल, आज और आज
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बीते पल की बात करें क्या , लौट नहीं आने वाला।
आज खड़ा जो सम्मुख अपने, वह भी है जाने वाला।।
बात करें चल उस कल की जो, कल ही कल आजायेगा।
जीवन में फिर आशाओं के, दीप जलाकर जायेगा।।
बने अतीत जो पल तीखे थे, गीत न वह गाने वाला।
आज खड़ा जो सम्मुख अपने, वह भी है जाने वाला।।
बात पुरातन बीत गई जो, क्यों हम वह गाना गायें।
नये वर्ष में काम भला कर, आओ जग पे छा जायें।।
बुरे कर्म का बुरा नतीजा, बात सही देखा -भाला।
आज खड़ा जो सम्मुख अपने, वह भी है जाने वाला।।
कुछ अच्छे कुछ बुरे पलों को, वर्ष पुरातन दिखा गया।
जाते जाते ना जाने यह, क्या कुछ हमको सिखा गया।।
आना जाना रीत यही है, पड़े सभी का ही पाला।
आज खड़ा जो सम्मुख अपने, वह भी है जाने वाला।।
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स्वरचित, स्वप्रमाणित
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”
मुसहरवा (मंशानगर)
पश्चिमी चम्पारण
बिहार
?९५६०३३५९५२