Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2016 · 2 min read

आजाद तेरी आजादी

भारत मां के अमर पुत्र “चन्द्रशेखर आजाद” की पुण्य तिथि पर मेरी एक तुच्छ सी रचना l
रचना का भाव समझने के लिये पूरी रचना पढेl”

**आजाद तेरी आज़ादी की अस्मत चौराहों पर लूटी जाती है**

शत बार नमन ऐ हिंद पुत्र!
शत बार तुम्हें अभिराम रहे,
आज़ाद रहे ये हिंद तुम्हारा,
आज़ाद तुम्हारा नाम रहे l

याद बखूबी है मुझको कि तुमने क्या कुर्बान किया,
आजाद थे तुम और अन्तिम क्षण तक आज़ादी का गान किया,
बचपन, यौवन, संगी-साथी, सब तुमने वतन को दे डाला,
अपनी हर इक सांस को तुमने हिंद पे ही बलिदान किया,
मगर सुनो ऐ हिंद पुत्र-
अब तो उस आजादी की बस गरिमा टूटी जाती है,
और भरे चौराहों पर उसकी इज्जत लूटी जाती है l

जिसकी खातिर लाखों वीरों ने अपना सर्वस्व मिटा डाला,
निष्प्राण किया खुद को फ़िर उसके अभिनन्दन को बिछा डाला,
आजाद हिंद का आसमान अब उसपर कौंधा जाता है,
और उसी आजादी को अब पैरों से रौंदा जाता है,
उस आजादी को लिखने पर आंख से नदियां फूटी जाती हैं,
आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है ll

तुमने शीश चढाया था कि हिंद ये जिन्दाबाद रहे,
तुम ना भी रहो फ़िर भी ये रहे, आजाद रहे आबाद रहे,
तुम्हारा इंकलाब अब देशद्रोह के पलडो में तोला जाता है,
और हिंद की मुर्दाबादी का नारा खुलकर बोला जाता है,
अब हिंद के जिन्दाबाद पे तेरी जनता रूठी जाती है,
आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है l

जिस आजादी के सपनों में तुमने सुबह-ओ-शाम किया,
राजदुलारों ने उसको चौराहों पर नीलाम किया,
संसद के दु:शासन उसका चीरहरण कर लेते है,
और हवस की ज्वाला अपनी आंखों में भर लेते हैं ,
सर्वेश्वर श्री कृष्ण की गाथा अब बस झूठी जाती है,
आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है ll

आज तुम्हारी पुण्य तिथि पर ये सब सोच के आंखें रोयी थीं,
इसी हिंद की मिट्टी में तुमने अपनी शहादत बोयी थी,
आज तुम्हारी कुर्बानी पर ये लोग तो ताने कसते हैं,
ये आस्तीन के सांप हैं अपने रखवालों को डंसते हैं,
और भला क्या लिखूं?
कलम हाथ से छूटी जाती है,
आजाद तेरी आजादी की इज्जत चौराहों पर लूटी जाती है ll

All rights reserved.

-Er Anand Sagar Pandey

286 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
तेरा होना...... मैं चाह लेता
तेरा होना...... मैं चाह लेता
सिद्धार्थ गोरखपुरी
"सच्ची जिन्दगी"
Dr. Kishan tandon kranti
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
संस्कारों और वीरों की धरा...!!!!
Jyoti Khari
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
मैं जानता हूॅ॑ उनको और उनके इरादों को
VINOD CHAUHAN
आज फिर उनकी याद आई है,
आज फिर उनकी याद आई है,
Yogini kajol Pathak
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
या तो लाल होगा या उजले में लपेटे जाओगे
Keshav kishor Kumar
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
कुछ दिन से हम दोनों मे क्यों? रहती अनबन जैसी है।
अभिनव अदम्य
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
युँ ही नहीं जिंदगी हर लम्हा अंदर से तोड़ रही,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
आटा
आटा
संजय कुमार संजू
//  जनक छन्द  //
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
तुम्हारा मेरा रिश्ता....
पूर्वार्थ
हमें ना शिकायत है आप सभी से,
हमें ना शिकायत है आप सभी से,
Dr. Man Mohan Krishna
"पहले मुझे लगता था कि मैं बिका नही इसलिए सस्ता हूँ
दुष्यन्त 'बाबा'
आज भगवान का बनाया हुआ
आज भगवान का बनाया हुआ
प्रेमदास वसु सुरेखा
अंबेडकरवादी विचारधारा की संवाहक हैं श्याम निर्मोही जी की कविताएं - रेत पर कश्तियां (काव्य संग्रह)
अंबेडकरवादी विचारधारा की संवाहक हैं श्याम निर्मोही जी की कविताएं - रेत पर कश्तियां (काव्य संग्रह)
आर एस आघात
पल
पल
Sangeeta Beniwal
मरने से पहले / मुसाफ़िर बैठा
मरने से पहले / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
नेपालीको गर्व(Pride of Nepal)
नेपालीको गर्व(Pride of Nepal)
Sidhartha Mishra
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
वह जो रुखसत हो गई
वह जो रुखसत हो गई
श्याम सिंह बिष्ट
बेटी को मत मारो 🙏
बेटी को मत मारो 🙏
Samar babu
जीवन के आधार पिता
जीवन के आधार पिता
Kavita Chouhan
महाभारत एक अलग पहलू
महाभारत एक अलग पहलू
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
जिस तरह मनुष्य केवल आम के फल से संतुष्ट नहीं होता, टहनियां भ
Sanjay ' शून्य'
रेणुका और जमदग्नि घर,
रेणुका और जमदग्नि घर,
Satish Srijan
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
चाँद नभ से दूर चला, खड़ी अमावस मौन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
तुम मेरा साथ दो
तुम मेरा साथ दो
Surya Barman
* ऋतुराज *
* ऋतुराज *
surenderpal vaidya
*सीधे-साधे लोगों का अब, कठिन गुजारा लगता है (हिंदी गजल)*
*सीधे-साधे लोगों का अब, कठिन गुजारा लगता है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
बिन मौसम बरसात
बिन मौसम बरसात
लक्ष्मी सिंह
Loading...