— आग —
आग ऐसी जली
कि बुझने का नाम नही ले रही
रोजाना न जाने
कितने जल रहे शमशान
ये बुझने का नाम नही ले रही
घर घर से उठ रहे
अनगिनत से तूफ़ान
यह बुझने का नाम नही ले रही
कब तक रहेगा ये
घमासान थमने का नाम नही ले रही
अनसुलझे से छोड़ रही सवाल
यह रूकने का नाम नही ले रही
आगे आगे न जाने कैसा हो अंजाम
यह बुझने का नाम नही ले रही
अजीत कुमार तलवार
मेरठ