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22 Jul 2017 · 1 min read

आग

पेट में लगे तो
“भूख”
दिल में लगे तो
“इश्क़”
दिमाग में लगे तो
“विनाश”
देह में लगे तो
“राख”
घर में लगे तो
“बंटवारा”
पड़ोसी में लगे तो
“ईर्ष्या”
खेतों में लगे तो
“बंजर”
फसलों में लगे तो
“भूखमरी”
मौसम में लगे तो
“जेठ”
पानी में लगे तो
“सूखा”
बाज़ारों में लगे तो
” मंहगाई”
गरीबी में लगे तो
“आफत”
अमीरी में लगे तो
“कंगाली”
सरहद पर लगे तो
” युद्ध”
पूजा में लगे तो
” विघ्न”
सपनों में लगे तो
“खलल”
सुहाग में लगे तो
“विधवा”
बोली में लगे तो
“बैर ”
बुढ़ापे में लगे तो
“आशुफ्‍ता”
जवानी में लगे तो
“आशिक”
……………….
शब्दार्थ : आशुफ्‍ता – बौखलाया हुआ
……………….
निर्मल सिंह ‘नीर’
दिनांक – 20जुलाई, 2017
समय – 03:45pm

Language: Hindi
1 Like · 711 Views
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