आखिरी वक्त
मेरे हिस्से की
ये जमीन, ये आसमान सब तुम्हारा है
जो मैंने कमाया व्यवहार
सब तुम्हारा है ।
तड़फ रहा हूँ पलंग पर
बिखारी बन ,
भूख है ,प्यास है
भोजन है, पानी है
अब शरीर को सब अस्वीकार
नागवारा है ।
लोग आ रहे हैं
मुझे देखने, हाल पूछने
मैं उन्हें देख रहा हूँ, अंत में
चेहरा पहचान रहा हूँ
जो किए पाप उनके साथ
भोग रहा हूँ, अंत में ।
सूखे हुए होठ
हड्डियों से चिपकी खाल
पेट में पड़ा गड्डा,
सुखी आंखों से आसूँ,
रिस रहे हैं,
आखिरी वक्त में ।
ये आलीशान घर, गाड़ी, घोड़े
माल,खेत-खलिहान
जान लेकर जो कमाएं
बेजान छोड़ रहा हूँ ,
आजादी और दर्द से राहत
चाहिए मुझे, इस वक्त में ।
अपना अनुभव देता हूँ, अंत में
सम्भालना,
मेरा आखिरी वक्त याद रखना,
तड़फ,बैचेनी, विवशता,
जोड़-तोड़ सब बेजान है,
लोगों की आंखों में जान देना,
प्यार देना ,
यही ख़ुशी साथ देगी
आखिरी वक्त में ।