Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Feb 2020 · 1 min read

आखिरी खत

कितना मुश्किल है
दिल के जज़्बातों को
कागज़ पर उकेरना,
अहसासों को
अल्फ़ाज़ों में समेटना,
कोशिश कर रहा हूँ, अपने
हाल ए दिल को, इस खत में
तुम तक पहुँचा सकूँ ।
जबसे हुई है,
हमारे – तुम्हारे दरमियां ये दूरियाँ
ख़ामोश लगती हैं धड़कनें
बेखबर, गुमशुम सा
भटकता रहता हूँ, वीराने सी
नज़र आती हैं रौनकें अब
ज़माने की, जानता हूँ
मुमकिन नहीं, रिवाजों की बेड़ियाँ
तोड़कर, दुबारा लौटकर आना,
पर ये दिल बिना तुम्हारी
छुअन के, धड़कनें को
तैयार नहीं ।
जला देना, बेशक मेरे सारे
खतों को, पर ये आखिरी खत
सँभालकर रखना, शायद
ज़िन्दगी के किसी मोड़ पर
जरूरत पड़ जाए
तुम्हें, मेरी……

‌✍अरविन्द त्रिवेदी
महम्मदाबाद
उन्नाव उ० प्र०

Language: Hindi
1 Comment · 304 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
Neeraj Agarwal
झूठ
झूठ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
संकल्प
संकल्प
Shyam Sundar Subramanian
खत उसनें खोला भी नहीं
खत उसनें खोला भी नहीं
Sonu sugandh
* जिन्दगी *
* जिन्दगी *
surenderpal vaidya
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
ढलता सूरज गहराती लालिमा देती यही संदेश
Neerja Sharma
आपकी सोच
आपकी सोच
Dr fauzia Naseem shad
मर्द का दर्द
मर्द का दर्द
Anil chobisa
दम है तो गलत का विरोध करो अंधभक्तो
दम है तो गलत का विरोध करो अंधभक्तो
शेखर सिंह
सोचता हूँ  ऐ ज़िन्दगी  तुझको
सोचता हूँ ऐ ज़िन्दगी तुझको
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
ये जो तुम कुछ कहते नहीं कमाल करते हो
Ajay Mishra
ढलती हुई दीवार ।
ढलती हुई दीवार ।
Manisha Manjari
Hello Sun!
Hello Sun!
Buddha Prakash
*आदेशित पुरुषों से हो, घूँघट में रहना पड़ता है (हिंदी गजल/ग
*आदेशित पुरुषों से हो, घूँघट में रहना पड़ता है (हिंदी गजल/ग
Ravi Prakash
2685.*पूर्णिका*
2685.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
गौरवमय पल....
गौरवमय पल....
डॉ.सीमा अग्रवाल
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
धर्म के रचैया श्याम,नाग के नथैया श्याम
कृष्णकांत गुर्जर
कैसे कह दूं पंडित हूँ
कैसे कह दूं पंडित हूँ
Satish Srijan
डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है
डॉ. जसवंतसिंह जनमेजय का प्रतिक्रिया पत्र लेखन कार्य अभूतपूर्व है
आर एस आघात
बरसाने की हर कलियों के खुशबू में राधा नाम है।
बरसाने की हर कलियों के खुशबू में राधा नाम है।
Rj Anand Prajapati
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
हिन्दी दोहा बिषय-ठसक
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
7) पूछ रहा है दिल
7) पूछ रहा है दिल
पूनम झा 'प्रथमा'
शिकवा
शिकवा
अखिलेश 'अखिल'
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
जब उम्र कुछ कर गुजरने की होती है
Harminder Kaur
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
ना जाने कौन सी डिग्रियाँ है तुम्हारे पास
Gouri tiwari
नारी जागरूकता
नारी जागरूकता
Kanchan Khanna
क्यों इन्द्रदेव?
क्यों इन्द्रदेव?
Shaily
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
फिर भी करना है संघर्ष !
फिर भी करना है संघर्ष !
जगदीश लववंशी
जरूरत
जरूरत
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...