Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2017 · 1 min read

आओ रोपें इक तरुवर हम

आओ रोपें इक तरुवर हम
अपनी प्यारी तनुजा के नाम
सींचें उसको नित प्रेम से
आएगा वह सबके काम ।

प्रेम जल से सिंचित तरुवर
बेटी सम परवाह करते हैं ,
ताप घना सहकर भी वे
शीतल छाया देते हैं ।

हर संताप बंजर धरती का
स्वच्छ बयार बहाते हैं ,
पुष्पित होकर वे सदा ही
सुरभित जग कर जाते हैं ।

डॉ रीता

Language: Hindi
294 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Rita Singh
View all
You may also like:
हरा-भरा बगीचा
हरा-भरा बगीचा
Shekhar Chandra Mitra
शान्त सा जीवन
शान्त सा जीवन
Dr fauzia Naseem shad
कौन जात हो भाई / BACHCHA LAL ’UNMESH’
कौन जात हो भाई / BACHCHA LAL ’UNMESH’
Dr MusafiR BaithA
*जो घर-परिवार अपने हैं, न उनसे दूर हो जाना (मुक्तक)*
*जो घर-परिवार अपने हैं, न उनसे दूर हो जाना (मुक्तक)*
Ravi Prakash
किसी से मत कहना
किसी से मत कहना
Dr.Pratibha Prakash
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
सुलगती आग हूॅ॑ मैं बुझी हुई राख ना समझ
VINOD CHAUHAN
बदल चुका क्या समय का लय?
बदल चुका क्या समय का लय?
Buddha Prakash
अमृत महोत्सव आजादी का
अमृत महोत्सव आजादी का
लक्ष्मी सिंह
तुम्हे याद किये बिना सो जाऊ
तुम्हे याद किये बिना सो जाऊ
The_dk_poetry
माँ तुझे प्रणाम
माँ तुझे प्रणाम
Sumit Ki Kalam Se Ek Marwari Banda
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
हुनरमंद लोग तिरस्कृत क्यों
Mahender Singh
*बीमारी न छुपाओ*
*बीमारी न छुपाओ*
Dushyant Kumar
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
जिसका इन्तजार हो उसका दीदार हो जाए,
डी. के. निवातिया
सैनिक
सैनिक
Mamta Rani
✒️कलम की अभिलाषा✒️
✒️कलम की अभिलाषा✒️
सुरेश अजगल्ले 'इन्द्र '
एक दूसरे से बतियाएं
एक दूसरे से बतियाएं
surenderpal vaidya
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
वो सोचते हैं कि उनकी मतलबी दोस्ती के बिना,
manjula chauhan
2474.पूर्णिका
2474.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
व्यक्ति के शब्द ही उसके सोच को परिलक्षित कर देते है शब्द आपक
व्यक्ति के शब्द ही उसके सोच को परिलक्षित कर देते है शब्द आपक
Rj Anand Prajapati
ग़ैरत ही होती तो
ग़ैरत ही होती तो
*Author प्रणय प्रभात*
मैं गहरा दर्द हूँ
मैं गहरा दर्द हूँ
'अशांत' शेखर
हिंदी दिवस पर एक आलेख
हिंदी दिवस पर एक आलेख
कवि रमेशराज
मेरी चाहत
मेरी चाहत
Namrata Sona
"आँसू"
Dr. Kishan tandon kranti
, गुज़रा इक ज़माना
, गुज़रा इक ज़माना
Surinder blackpen
!! सुविचार !!
!! सुविचार !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
शर्म
शर्म
परमार प्रकाश
मतदान
मतदान
Dr Archana Gupta
सम्पूर्ण सनातन
सम्पूर्ण सनातन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
প্রশ্ন - অর্ঘ্যদীপ চক্রবর্তী
Arghyadeep Chakraborty
Loading...