-आओ मिलकर
शीर्षक-आओ मिलकर
वो भारत मेरा प्यारा था
जहाँ दूध की नदियां बहती थी
वन,नदियां, पर्वत सब पूजते थे
पर तस्वीर देश की बदल गई।
धरती का हमने दोहन किया
पेड़ काट कर धरती से अलग किया
हमने धरा को निर्वस्त्र किया
नीड़ पक्षी का छीन बेघर किया।
माँ धरती को हमने रुग्ण किया
उसकी हरियाली छीन लिया
खनन धरा का हमने हैं किया
तस्वीर देश की वदल गई
अब तक तो पालीथिन डाली
अब उससे निकृष्ट काम हुआ
गंगा माता में आज तो लाशों का
अंबार हमने जो खडा किया।
आओ मिलकर अब अलख जगाए
अपनी प्रकर्ति को मिलके बचाये
धरती को फिर से स्वर्ग बनाये
आओ मिल प्रतिज्ञा आज उठाये
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद