Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
2 Mar 2018 · 1 min read

आओ मिलकर खेलें होली

एक गीत : होली पर

आओ मिलकर खेलें होली

पेड़ों पर नए पत्ते आए और प्रकृति की है सजी रंगोली।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।

पकी फसल लहराई खेतों में कटाई का बस काम रहा।
बहुत सुहावना हो गया मौसम सरदी का नहीं नाम रहा।।
रंग लाई है मेहनत अपनी पत्नी किसान की यूं बोली।।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।

इस डाल से फुदक कर चिड़िया उस डाल पर जा बैठी।
पर फैला कर एक कबूतरी भी थी पास उसके आ बैठी।।
मस्त हो मस्ती में फागुन की दोनों करने लगी ठिठोली।
यह मस्त महीना फागुन का, आओ मिलकर खेलें होली।।

डालें लहकी, पत्ते फड़के फूलों ने उड़ा दी हवा में खुशबू।
जाती सरदी के पाँव देख लो चलेंगी अब बस लू ही लू।।
न रहेगा ऐसा रंग-रूप अपना भी आपस में कलियां बोली।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।

पेड़ों पर नए पत्ते आए और प्रकृति की है सजी रंगोली।
यह मस्त महीना फागुन का आओ मिलकर खेलें होली।।

– आनन्द प्रकाश आर्टिस्ट,
अध्यक्ष, आनन्द कला मंच एवं शोध संस्थान,
सर्वेश सदन, आनन्द मार्ग, कोंट रोड़ भिवानी-127021(हरियाणा)
मो. – 9416690206

Language: Hindi
Tag: गीत
335 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
दोहा पंचक. . . . प्रेम
दोहा पंचक. . . . प्रेम
sushil sarna
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
कवर नयी है किताब वही पुराना है।
Manoj Mahato
मतदान दिवस
मतदान दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
आप अपना कुछ कहते रहें ,  आप अपना कुछ लिखते रहें!  कोई पढ़ें य
आप अपना कुछ कहते रहें , आप अपना कुछ लिखते रहें! कोई पढ़ें य
DrLakshman Jha Parimal
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
आज मानवता मृत्यु पथ पर जा रही है।
पूर्वार्थ
मोहमाया के जंजाल में फंसकर रह गया है इंसान
मोहमाया के जंजाल में फंसकर रह गया है इंसान
Rekha khichi
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Tujhe pane ki jung me khud ko fana kr diya,
Sakshi Tripathi
मुस्कानों की परिभाषाएँ
मुस्कानों की परिभाषाएँ
Shyam Tiwari
.....★.....
.....★.....
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
आ गए चुनाव
आ गए चुनाव
Sandeep Pande
Drapetomania
Drapetomania
Vedha Singh
आपकी लिखावट भी यह दर्शा देती है कि आपकी बुद्धिमत्ता क्या है
आपकी लिखावट भी यह दर्शा देती है कि आपकी बुद्धिमत्ता क्या है
Rj Anand Prajapati
मेरी शायरी की छांव में
मेरी शायरी की छांव में
शेखर सिंह
नरेंद्र
नरेंद्र
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
धमकियां शुरू हो गई
धमकियां शुरू हो गई
Basant Bhagawan Roy
क्या वैसी हो सच में तुम
क्या वैसी हो सच में तुम
gurudeenverma198
किसी को इतना मत करीब आने दो
किसी को इतना मत करीब आने दो
कवि दीपक बवेजा
मौज-मस्ती
मौज-मस्ती
Vandna Thakur
दीवाली शुभकामनाएं
दीवाली शुभकामनाएं
kumar Deepak "Mani"
माँ का अछोर आंचल / मुसाफ़िर बैठा
माँ का अछोर आंचल / मुसाफ़िर बैठा
Dr MusafiR BaithA
तेवरी
तेवरी
कवि रमेशराज
बेटी आएगी, तो खुशियां लाएगी।
बेटी आएगी, तो खुशियां लाएगी।
Rajni kapoor
*अज्ञानी की कलम से हमारे बड़े भाई जी प्रश्नोत्तर शायद पसंद आ
*अज्ञानी की कलम से हमारे बड़े भाई जी प्रश्नोत्तर शायद पसंद आ
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
आज़ाद पंछी
आज़ाद पंछी
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
मैं तो महज एक नाम हूँ
मैं तो महज एक नाम हूँ
VINOD CHAUHAN
शिव की महिमा
शिव की महिमा
Praveen Sain
■ दोहे फागुन के...
■ दोहे फागुन के...
*Author प्रणय प्रभात*
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
तुम्हारा हर लहज़ा, हर अंदाज़,
ओसमणी साहू 'ओश'
कविता
कविता
Rambali Mishra
Loading...