Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Feb 2020 · 1 min read

आओ मिलकर आग लगायें..

आओ मिलकर आग लगायें,
कानून नया बनाये हम,
देश के फिर से टुकड़े करके,
हिन्दू मुस्लिम हो जायें हम,
अपनी मतलब के ख़ातिर हम,
संविधान बदल डाले,
आओ मिलकर आग लगायें…

कानून में संसोधन करके,
बाहरी को नागरिकता दें,
एन आर सी लागू करके,
देश की जनता भगायें हम,
इस सत्ता की भूख मिटाने,
कानून को कुचल डालें,
आओ मिलकर आग लागयें…

प्रजा त्रस्त हो महंगाई से,
सबको नजरअंदाज करें,
युवा भले बेरोजगार ही रहे,
उनकी समस्या खुद समझे,
हमें तो मतलब कुर्सी से है,
पहले अपनी भुख मिटा लें हम,
आओ मिलकर आग लगायें…

पहले बाँटा था जिन्ना ने,
हम भी उससे कम है क्या,
मरने वालों को मरने दो,
हमको क्या लेना देना,
जो करता है विरोध हमारी,
उसे देशद्रोही बताएं हम,
आओ मिलकर आग लगायें…

खरीद खरीद के मिडिया को,
खबर गलत फैलाएं जी,
विकास की बातें हो जहाँ भी,
जनता को मूर्ख बनाएं जी,
हिन्दू मुस्लिम की बातों में,
देश को अब उलझायें हम,
आओ मिलकर आग लागयें…

सत्ता हासिल करने के खातिर,
श्रीराम को कोर्ट बुलाया था,
देश का पैसा लूटने खातिर,
कर्जदारों को भगाया था,
भारतवर्ष की टुकड़े करने को,
अब कुछ भी कर जाएं हम,
आओ मिलकर आग लागयें…

– विनय कुमार करुणे

यह कविता वर्तमान भारत सरकार की स्थिति का आईना मात्र है,
अभी सरकार देश में जो स्थिति पैदा कर रहे हैं, उसी का व्यंग्य है,
इस कविता में वक्ता स्वंय भारत सरकार है, और श्रोता यहाँ की जनता है जो बार बार इनकी बातों में आकर मूर्ख बन जाती है।।

Language: Hindi
597 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज इस सूने हृदय में....
आज इस सूने हृदय में....
डॉ.सीमा अग्रवाल
कामयाबी का जाम।
कामयाबी का जाम।
Rj Anand Prajapati
विराम चिह्न
विराम चिह्न
Neelam Sharma
23/77.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/77.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"सत्य"
Dr. Kishan tandon kranti
बचपन
बचपन
नन्दलाल सुथार "राही"
समय की कविता
समय की कविता
Vansh Agarwal
कुछ तो उन्होंने भी कहा होगा
कुछ तो उन्होंने भी कहा होगा
पूर्वार्थ
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वदेशी के नाम पर
स्वदेशी के नाम पर
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*अपना अंतस*
*अपना अंतस*
Rambali Mishra
कर्म रूपी मूल में श्रम रूपी जल व दान रूपी खाद डालने से जीवन
कर्म रूपी मूल में श्रम रूपी जल व दान रूपी खाद डालने से जीवन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
आईने झूठ तो बोलेंगे नहीं
आईने झूठ तो बोलेंगे नहीं
Ranjana Verma
कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों !
कहा हों मोहन, तुम दिखते नहीं हों !
The_dk_poetry
तूं मुझे एक वक्त बता दें....
तूं मुझे एक वक्त बता दें....
Keshav kishor Kumar
अर्थ  उपार्जन के लिए,
अर्थ उपार्जन के लिए,
sushil sarna
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
ग़ज़ल - फितरतों का ढेर
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
अगर ना मिले सुकून कहीं तो ढूंढ लेना खुद मे,
Ranjeet kumar patre
मोहल्ले में थानेदार (हास्य व्यंग्य)
मोहल्ले में थानेदार (हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
ज़ुल्मत की रात
ज़ुल्मत की रात
Shekhar Chandra Mitra
कन्यादान
कन्यादान
Mukesh Kumar Sonkar
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
फितरत जग में एक आईना🔥🌿🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
#शेर-
#शेर-
*Author प्रणय प्रभात*
तेरे शब्दों के हर गूंज से, जीवन ख़ुशबू देता है…
तेरे शब्दों के हर गूंज से, जीवन ख़ुशबू देता है…
Anand Kumar
"दोस्ती का मतलब"
Radhakishan R. Mundhra
भले ही भारतीय मानवता पार्टी हमने बनाया है और इसका संस्थापक स
भले ही भारतीय मानवता पार्टी हमने बनाया है और इसका संस्थापक स
Dr. Man Mohan Krishna
चंद्र शीतल आ गया बिखरी गगन में चाँदनी।
चंद्र शीतल आ गया बिखरी गगन में चाँदनी।
लक्ष्मी सिंह
एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त
एक सशक्त लघुकथाकार : लोककवि रामचरन गुप्त
कवि रमेशराज
जिन्दगी के रंग
जिन्दगी के रंग
Santosh Shrivastava
Loading...