आइए मिलकर करें हम राष्ट्र की आराधना
आइए मिलकर करें हम राष्ट्र की आराधना।
हम निभाए फर्ज़ अपना बस यही हो साधना।।
मिल सकें जो सब गले परमार्थ में जीवन ढले।
हम जहां को जीत लेंगे है यही संभावना।।
अब मशालें जल गयी हैं क़ौमी एकता लाएंगे।
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई मिल करें सब प्रार्थना।।
संप्रदायों में न बांटो दिल हमारे एक हैं।।
राष्ट कायाकल्प होगा हो गए जब एक ना।।
‘कल्प’ संकल्पित हुये ले कर शपथ समभाव की।
हम बढ़ेंगे जग बढ़ेगा है यही सद्भावना।।
✍?अरविंद राजपूत ‘कल्प’