आंसू की तरह
आंसू की तरह आंख से गिरा दिया मुझे।
मैं कितना बोझिल हूं ,बता दिया मुझे।
पलकों में छुपाकर,कब तक मुझे रखते
करके एहसान ,गिनवा दिया मुझे।
मुब्तला ए इश्क अब दिल नहीं अपना
बात बात में ,समझा दिया मुझे।
ओस का कतरा नहीं हूं ,मैं आंख में तेरी
चाहत का समन्दर,लिखवा दिया मुझे।
रोके रखना था मुझे ,आंख के सैलाब को
बहा जब भी ये ,बहका दिया मुझे।
सुरिंदर कौर