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17 Apr 2017 · 1 min read

आंखे

दो आंखों की जेल में उसकी हम गिरफ्तार रहे हैं।
एक जमाने से इस दिल में वो सरकार रहे हैं।।

पूछ रहे हो मुझसे तुम क्या तुमने प्यार किया है।
एक अनार के पीछे बरसों हम बीमार रहे हैं।।

शक्ल नहीं देखी बरसों से कभी किसी आईने में।
एक जमाना था जब हम भी पानीदार रहे हैं।।

हम इकलौते चल ना सकेंगे सारा जहां बदलने को।।
ऊपर से ये बीवी बच्चे और घर बार रहे हैं।।

होश संभाला जबसे बेशरम लगे हैं दुनियादारी में।
जीवन के एक-एक पल अपने तो मंझधार रहे हैं।।

9424750038

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