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19 Jan 2020 · 2 min read

आँचल ( लघुकथा)

लघुकथा- आंचल

भव्या दो बजे स्कूल से आकर अपनी माॅम के आॅफिस से घर वापस आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है क्योंकि उसे अपनी माँ से एक सवाल पूछना है।
उसकी माँ बहुराष्ट्रीय कंपनी में एक बड़े पद पर कार्यरत हैं।
भव्या को पता है कि उसकी माँ पाँच बजे के बाद ही आॅफिस से वापस आएँगी।पर सवाल उसे इस कदर बेचैन कर रहा है कि वह बार -बार घड़ी देख रही है। बड़ी मुश्किल से उसका इंतजार खत्म हुआ और साढ़े पाँच बजे उसकी माँ वापस आईं।आते ही,उन्होंने भव्या से पूछा, कैसी हो बेटा? तुमने अपना होमवर्क कर लिया?
भव्या ने उनकी बात का उत्तर दिए बिना उनसे सीधा प्रश्न कर दिया जो स्कूल से उसके दिमाग में कौंध रहा था।उसने कहा, आपने आज तक मुझे आंचल में क्यों नहीं छुपाया?
भव्या की माँ को समझ में नहीं आया कि क्या उत्तर दें।
उन्होंने पूछा कि क्या हुआ बेटा? ऐसा क्यों बोल रही हो?
उसने अपनी माँ को सारी बात बताई कि आज उसकी मैडम ने एक कहानी सुनाई थी जिसमें उन्होंने बताया था कि माँ जब बच्चे को अपने आँचल में छुपा लेती है तो उसे कोई मुसीबत छू नहीं पाती।
भव्या की माँ जो एक आधुनिक विचारों वाली महिला हैं,उनका पहनावा पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो गया है, बिल्कुल चुप थीं।
उन्होंने भव्या से कहा – ठीक है बेटा,मैं तुम्हें कल आँचल में अवश्य छुपाउँगी।अगले दिन उन्होंने ऑफिस से छुट्टी ली और बाजार से साड़ी लेकर आईं।फिर दोपहर में अपनी सहेली के घर उस साड़ी को पहनने के लिए गईं।बेटी के स्कूल से वापस आने के पहले ही वे घर आकर उसका इंतजार करने लगी।जैसे ही बेटी घर आई ,उन्होंने उसे अपने आँचल से उसे ढक लिया।भव्या की खुशी की सीमा न रही।उसने माँ से पूछा-इसे ही आंचल कहते हैं? भव्या की माँ ने मात्र हाँ में सिर हिला दिया ।

Language: Hindi
369 Views
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