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16 Feb 2017 · 1 min read

*आँख के आंसू ने बरसात की बूँद से कहा*

आँख के आंसू ने
बरसात की बूँद से पूछा
किस तरह इतनी ऊंचाई से
गिरकर …….. … ……..भी
तुम शीतल रहती हो
क्या तुन्हें गिरने का
जरा भी दुःख नहीं
बरसात की बूँद ने कहा
ऊंचाई से गिरने का
मुझे ….. …… ..ग़म नहीं
दुःख तो तब होता है जब
किसी की आँख से गिरु
मुझे ग़म नहीं है कि मुझे
ऊपर से गिराया गया
मुझे तो गिरते वक्त भी
किसी ने अपने
आँचल में छुपाया है
मुझे तो अब भी शुकुन है
इसीलिए मैं शीतल हूँ ।।
?मधुप बैरागी

Language: Hindi
1 Like · 196 Views
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