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16 Feb 2021 · 1 min read

अहसास की बारिश

अहसास की बारिश
हो रही आज
मेरे अंगना
फिर भी मन का उपवन
उजड़ा है
बिन सजना के
सब सूना है
न कंगन खनकता है
न पायल छनकती है
न माथे पर बिंदिया सजती है
न हाथों में मेहंदी रचती है
मेले सजे हैं
दुनिया में हर तरफ
लेकिन मेरे गांव
मेरे शहर में
मातम का डेरा है
ऐ बादलों के पीछे छिपे
मेरे दिल के सरताज
मेरे जिगर के टुकड़े
चांद
बाहर निकल आओ
मेरे दिल की गुफा
का द्वार खोल
उसमें चांदनी की
रोशनी भरो कि
मेरे दिल के तहखाने में
सदियों से
बहुत सीलन, घुटन और
अंधेरा है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
210 Views
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