अहम
प्रतिष्ठित साहित्यकार पुष्करनाथ साहित्य जगत का सर्वोच्च पुरस्कार गृहण करने जा रहे थे. यह पुरस्कार उनके उपन्यास ‘स्वयंसिद्धा’ के लिए दिया जा रहा था. नायिका ने धैर्य और साहस के साथ अपने पति का विपरीत परिस्थितियों मे साथ निभा कर स्वयं को सिद्ध किया था. उनकी सहधर्मिणी भी इस महत्वपूर्ण समारोह में जाने के लिए पूरे उत्साह से तैयार हुई थीं. कार में बैठते समय पुष्करनाथ ने हाथ के इशारे से उन्हें रोक दिया “तुम क्या करोगी चल कर. भीतर जाकर घर संभालो.”
अपने उपन्यासों में स्त्री चरित्रों को महिमामंडित करने वाले पुष्करनाथ अपनी स्त्री को ना समझ सके जिसने उनके उपन्यास की नायिका से अधिक स्वयं को सिद्ध किया था.