Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2020 · 2 min read

अहंकार

अहंकार, काम, क्रोध, लोभ, मोह का मूल है ।अहंकार का स्वरूप मैं का स्वरूप होता है। अर्थात कार्य करने का श्रेय व्यक्ति स्वयं ही लेता है ,और अपने आप को महिमामंडित करता है। मेरे पूज्य गुरुदेव श्री भारत भूषण त्यागी जी कहते थे।”

बकरी जो मैं मैं करती है, अपनी गर्दन कटवाती है।
और इस प्रकार मैं का स्वरूप अहम स्वरूप है ।उसके द्वारा ब्रह्म का मूल स्वरूप छिप जाता है ,
और व्यक्ति कृतिम रूप में अपने आप को व्यक्त करता है।

मित्रों, जब शिशु जन्म लेता है, तो जब मां उसे पुकारती है तो शिशु हूं कहकर जवाब देता है। अर्थात शिशु कहता है मां मैं ब्रह्म हूँ,अहम् ब्रह्मास्मि ।किंतु जैसे-,जैसे उसे अपने पराये,और आसपास का ज्ञान होने लगता है। वह अहंकार से घिरने लगता है ,और बच्चा अपने मूल ब्रह्म स्वरूप को छोड़कर, मैं स्वरूप हो जाता है। तमोगुणी रजोगुणी व्यक्ति में अहंकार मुख्य गुण होता है। किंतु सतोगुणी व्यक्ति अहंकार से मुक्त नहीं हो पाते। इसीलिये निषेध की आवश्यकता हुई ।कहा गया है।
” अति सर्वत्र वर्जयेत ”
जब अहंकार की अति हो जाती है तो उस व्यक्ति का मान मर्दन होना आवश्यक हो जाता है। उदाहरण स्वरूप रावण और बाली जैसे महाबली राजाओं का मान मर्दन भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने किया था ।भगवान कृष्ण ने कहा, हे, अर्जुन जब जब व्यक्ति के अहंकार में वृद्धि होती है तब तब उसका नाश मैं ही करता हूं। दुर्योधन में अहंकार बहुत हो गया था जिसका मान मर्दन भगवान कृष्ण महाभारत का युद्ध आयोजित कर किया था । इसी प्रकार जरासंध को भी अपने अपराजेय होने का घमंड था, जिसका मान मर्दन भगवान कृष्ण ने भीम के द्वारा कराया था। अहंकार का निषेध आवश्यक हैं। इसीलिए भारतवर्ष में वयोवृद्ध जनों को महत्त्व दिया जाता है। जिससे, कि वे अपने विवेक के द्वारा बच्चों के अहंकार को नष्ट कर उन्हें सच्ची राह पर चलने की सीख दे सकें।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव,” प्रेम”

Language: Hindi
Tag: लेख
478 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
आइन-ए-अल्फाज
आइन-ए-अल्फाज
AJAY AMITABH SUMAN
■ आज का आखिरी शेर।
■ आज का आखिरी शेर।
*Author प्रणय प्रभात*
सत्य कभी निरभ्र नभ-सा
सत्य कभी निरभ्र नभ-सा
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
मैं तो महज तकदीर हूँ
मैं तो महज तकदीर हूँ
VINOD CHAUHAN
सफर में महोब्बत
सफर में महोब्बत
Anil chobisa
अगर आपको अपने कार्यों में विरोध मिल रहा
अगर आपको अपने कार्यों में विरोध मिल रहा
Prof Neelam Sangwan
* कभी दूरियों को *
* कभी दूरियों को *
surenderpal vaidya
ঈশ্বর কে
ঈশ্বর কে
Otteri Selvakumar
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
सार छंद विधान सउदाहरण / (छन्न पकैया )
Subhash Singhai
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Ram Krishan Rastogi
एक मां ने परिवार बनाया
एक मां ने परिवार बनाया
Harminder Kaur
अनोखे ही साज़ बजते है.!
अनोखे ही साज़ बजते है.!
शेखर सिंह
तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
तड़फ रहा दिल हिज्र में तेरे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
तुम मुझे यूँ ही याद रखना
Bhupendra Rawat
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
कोई तो कोहरा हटा दे मेरे रास्ते का,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
वो जहां
वो जहां
हिमांशु Kulshrestha
💐अज्ञात के प्रति-120💐
💐अज्ञात के प्रति-120💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
जिसनें जैसा चाहा वैसा अफसाना बना दिया
Sonu sugandh
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
*बालरूप श्रीराम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
बंटते हिन्दू बंटता देश
बंटते हिन्दू बंटता देश
विजय कुमार अग्रवाल
"ग़ौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
“जिंदगी की राह ”
“जिंदगी की राह ”
Yogendra Chaturwedi
3216.*पूर्णिका*
3216.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज भी
आज भी
Dr fauzia Naseem shad
तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
तुम्हारे स्वप्न अपने नैन में हर पल संजोती हूँ
Dr Archana Gupta
मा शारदा
मा शारदा
भरत कुमार सोलंकी
हम फर्श पर गुमान करते,
हम फर्श पर गुमान करते,
Neeraj Agarwal
प्रभु जी हम पर कृपा करो
प्रभु जी हम पर कृपा करो
Vishnu Prasad 'panchotiya'
Rap song (3)
Rap song (3)
Nishant prakhar
मंद मंद बहती हवा
मंद मंद बहती हवा
Soni Gupta
Loading...