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23 Apr 2017 · 1 min read

“अहंकार”

अहंकार से ना बचें, राजा रंक फकीर।
दूजे सह खुद भी मिटें,घात होय गंभीर।।

अहंकार के साथ चला, लेकर के कुछ आस।
चार कदम ही चल सका,राहें मिला विनाश।।

रावण में अहंकार था, जानें जग ये बात।
बात बात में आपनी, करता प्रत्याघात।।

अनुज विभिषन को सत्य पर,मारत एक दिन लात।
सिंहासन वो हिल गया, मुँह भी बची न बात।।

स्वाभिमान संग जन्म ले,होता विकृत विशाल।
रक्षण पोंषण गर मिले ,बनता विष की छाल।।

अंत सीढी विनाश की,होय रे अहंकार।
रामायण गीता कहें,बार बार ये सार।।

प्रशांत शर्मा “सरल’
नरसिंहपुर

Language: Hindi
342 Views
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