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20 Nov 2017 · 1 min read

अश्क़ आज आँखों में भर कर आया हूँ

देख आज भी कहाँ तुझे मैं भूल पाया हूँ
अश्क़ आज आँखों में भर कर आया हूँ

आज भी आरज़ू है तुझे पाने की
मैं ज़िन्दगी को पीछे छोड़ आया हूँ

तेरे संग जीने का सपना लिए हुए
अपने सपनो के घरौंदे को तोड़ आया हूँ

जिस राह से नही है रिश्ता नाता मेरा
उस राह से भी नाता जोड़ आया हूँ

भटक रहा हूँ जूस्तजूं में तेरी दिन रात
तेरी ख़ातिर शिवाले से भी हो आया हूँ

Bhupendra Rawat
20/11/2017

1 Like · 250 Views
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