Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 May 2017 · 1 min read

अश्रुनाद

. …. मुक्तक ….

भव- सिन्धु प्रलापित फेरे
लहरें सुनामि बन घेरे
भू- गर्भ प्रकम्पित होता
जब अश्रुनाद से मेरे

डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ

Language: Hindi
343 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कविता - 'टमाटर की गाथा
कविता - 'टमाटर की गाथा"
Anand Sharma
23/130.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/130.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
ज्योतिर्मय
ज्योतिर्मय
Pratibha Pandey
" बंदिशें ज़ेल की "
Chunnu Lal Gupta
नदियों का एहसान
नदियों का एहसान
RAKESH RAKESH
"अभ्यास"
Dr. Kishan tandon kranti
अजनवी
अजनवी
Satish Srijan
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
जन गण मन अधिनायक जय हे ! भारत भाग्य विधाता।
Neelam Sharma
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
काव्य की आत्मा और रीति +रमेशराज
कवि रमेशराज
समय का एक ही पल किसी के लिए सुख , किसी के लिए दुख , किसी के
समय का एक ही पल किसी के लिए सुख , किसी के लिए दुख , किसी के
Seema Verma
Wakt ke girewan ko khich kar
Wakt ke girewan ko khich kar
Sakshi Tripathi
देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा,
देश आज 75वां गणतंत्र दिवस मना रहा,
पूर्वार्थ
World Book Day
World Book Day
Tushar Jagawat
#लघुकथा / #हिचकी
#लघुकथा / #हिचकी
*Author प्रणय प्रभात*
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
कितने हीं ज़ख्म हमें छिपाने होते हैं,
Shweta Soni
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
छप्पर की कुटिया बस मकान बन गई, बोल, चाल, भाषा की वही रवानी है
Anand Kumar
राममय दोहे
राममय दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सैलाब .....
सैलाब .....
sushil sarna
बाल कविता: मछली
बाल कविता: मछली
Rajesh Kumar Arjun
ठोकर भी बहुत जरूरी है
ठोकर भी बहुत जरूरी है
Anil Mishra Prahari
कवि की लेखनी
कवि की लेखनी
Shyam Sundar Subramanian
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
वक्त बदलते ही चूर- चूर हो जाता है,
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
मां नर्मदा प्रकटोत्सव
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
*सबसे अच्छी मॉं के हाथों, निर्मित रोटी-दाल है (हिंदी गजल)*
*सबसे अच्छी मॉं के हाथों, निर्मित रोटी-दाल है (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
एक सरकारी सेवक की बेमिसाल कर्मठता / MUSAFIR BAITHA
एक सरकारी सेवक की बेमिसाल कर्मठता / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
आजादी दिवस
आजादी दिवस
लक्ष्मी सिंह
कृपाण घनाक्षरी....
कृपाण घनाक्षरी....
डॉ.सीमा अग्रवाल
आँख खुलते ही हमे उसकी सख़्त ज़रूरत होती है
आँख खुलते ही हमे उसकी सख़्त ज़रूरत होती है
KAJAL NAGAR
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
Loading...