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16 May 2018 · 1 min read

अश्रुनाद

. …. मुक्तक ….

हिय असह्य वेदना छाये
आघात परिधि फैलाये
मेरी आहत प्रतिध्वनि भी
फिर लौट क्षितिज से आये

डा. उमेश चन्द्र श्रीवास्तव
लखनऊ

Language: Hindi
414 Views
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