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16 May 2021 · 1 min read

जो अश्कों की बरसात हुई

गहरा इश्क़ था, क्यों घात हुई
दिल टूटा तो, बरसात हुई // मतला //

ताउम्र रहे सावन-भादो
जो अश्कों की बरसात हुई // 1. //

दुःख ही शामिल थे क़िस्मत में
रहमत मुझपे, दिन-रात हुई // 2. //

फूलों ने सबको ज़ख़्म दिए
ख़ारों से अक्सर बात हुई // 3. //

अक्सर आँखों ही आँखों में
गहरी बातें, बिन बात हुई // 4. //

जी की बात रही जी में ही
कैसी हाय! मुलाक़ात हुई // 5. //

उल्फ़त की शतरंज बिछी थी
यूँ अक्सर शह-ओ-मात हुई // 6. //

थे हिन्दू-मुस्लिम, मिल न सके
दुश्मन इन्सानी ज़ात हुई // 7. //

फिर ठहरा वक़्त कहाँ ग़ुज़रा
फिर दिन निकला ना रात हुई // 8. //

फिर दोष किसीको क्यों दे हम
जब पग-पग पर ही घात हुई // 9. //

हरदम टूटे दुःख विरहा के
यूँ रोज़ यहाँ बरसात हुई // 10. //

ये तो दस्तूरे-उल्फ़त था
क्यों सब कहते हैं घात हुई // 11. //

9 Likes · 8 Comments · 398 Views
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