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29 Mar 2017 · 3 min read

*अवसाद या डिप्रेशन पर विशेष*

अवसाद या डिप्रेशन *पर विशेष *
अवसाद या डिप्रेशन *पर विशेष *

*क्या हुआ जो हम किसी के जैसे नहीं
हम जैसे है , वैसे ही अच्छे हैं
हमारी अपनी पहचान है ,क्यों हम
किसी की पहचान जैसे बने

” डिपरेशन” या “अवसाद”
आखिर ये डिप्रेशन है क्या ?
क्या डिप्रेशन कोई बीमारी है ?
आज के युवाओं में डिप्रेशन एक महामारी के रूप में फ़ैल रहा है।
डिप्रेशन दीमक की तरह किसी भी इंसान को अन्दर ही अन्दर खोखला कर देता है ।
डिप्रेशन है ,हमारी सोच ,किसी भी बात को सोचने के दो पहलू होते हैं ।
एक सकारात्मकता , और एक नकारात्मकता
डिप्रेशन नकारात्मक सोच का बड़ा ही जहरीला रूप है ।,डिप्रेशन की अवस्था में इन्सान की सोच इतनी नकारात्मक हो जाती है ,कि वह इंसान अच्छी चीज में उलटा सोचने लगता है ,डिप्रेशन वाले व्यक्ति को लगता है जैसे उसके खिलाफ कोई साजिशें रच रहा है ,क्योंकि उसकी आँखों पर नकारात्मकता का चश्मा जो चढ़ा होता है।
कभी -कभी हमारा डिप्रेशन ,यानि हमारी नकारात्मक सोच इतना भयंकर रूप ले लेती है,कि डिप्रेशन वाला व्यक्ति स्वयं ही स्वयं का दुश्मन बन आत्महत्या तक कर लेता है ।

अवसाद की स्थिति आने ही न पायें ,इसकेलिए इस पीढ़ी को और भावी पीढ़ी को अपने जीवन जीने के तरीकों में परिवर्तन करना होगा।

1. संयुक्त परिवारों को बढ़ावा देना होगा ।
2.बड़ों का आदर, आपसी स्नेह, परस्पर प्रेम को बढ़ावा दें।
3.ये बात हमें समझनी होगी की प्रत्येक व्यक्ति की अपनी विशेष विशेषता होती है ।
4.कभी किसी की किसी से तुलना करके अपशब्द न कहें।
5.सबको अपने जैसे बनाने की कोशिश ना करो ,प्रत्येक की अपनी रूचि ,और विशिष्टता होती है ।
6.किसी को इतना ना दुत्कारें की वह निराशा के अँधेरे में घिरने लगे ।
7. अगर आपके परिवार का या आपका कोई मित्र सम्बन्धी
के बर्ताब में परिवर्तन आने लगे ,उसे किसी के साथ से अधिक अकेला पन भाने लगे,तो ऐसे व्यक्ति को ज्यादा देर अकेला न छोड़ें।
8. शान्ति प्रिय होना अच्छी बात है ,पर समाज से कट कर अपनी ही धुन में रहने वाले पर कड़ी नज़र रखें ।
9.उसके इस व्यवहार की वज़ह बड़ी उदारता से पूंछे ,और उसे सहयोग दें ,और सपनी सहानुभूति भी दें ।
10.डिप्रेशन वाले व्यक्ति को बहुत ही ज्यादा ,प्रेम की अपनेपन की और सहयोग की आव्यशकता होती है ,उसे एहसास दिलाते रहें कि वह भी एक विशिष्ट व्यक्ति है ,उसकी इस समाज में विशेष उपयोगिता है ।
11.कोई भी व्यक्ति निर्थक नहीं हर व्यक्ति के जन्म के पीछे कोई न कोई अर्थ जरूर है ।

डिप्रेशन का एक प्रमुख कारण आज के युग में, एकल परिवारों की प्रमुखता ,पहले हमारे दादा,दादी,नाना ,नानी के काल में संयुक्त परिवारों की प्रथा थी ,यह संयुक्त परिवारों में रहने की प्रथा बहुत ही अच्छी थी ।जो लोग संयुक्त परिवारों में रहते हैं, या रहते थे उन लोगों का डिप्रेशन से दूर -दूर तक कोई वास्ता नहीं है ,क्योंकि जब एक परिवार संयुक्त रूप से एक ही जगह रहता है ,तब उस परिवार में रहने वालों के दिन हँसी ख़ुशी बीतता है ,एक रूठा ,दूसरे ने मना लिया एक से गलती हुई घर के किसी सदस्य ने समझा लिया ,अपनी बात कहने के लिये एक साथ इतने रिश्ते मिल जाते है।
माना की संयुक्त परिवारों में अलग स्वभावों वाले इन्सान भी होते हैं कई बार उनसे ताल -मेल बिठाना इतना आसान नहीं होता ,पर क्या हुआ परिवार यानि एक हाथ की पांच उँगलियाँ
उनको थामने वाली हथेली ,यानि परिवार का मुखिया ,चार उँगलियाँ एक अँगूठा यानि परिवार की सदस्य सभी छोटी बड़ी उँगलियों को तालमेल बना कर रखना पड़ता है एक भी कटी हाथ बेकार,यही परिवार का भी हाल होता है तालमेल बना कर रखना पड़ता है ।

मत होना जीवन में इतना कमजोर कि, जीवन एक बोझ लगने लगे ।क्या हुआ जो आज समय हमारे विपरीत है ।
विपरीत परिस्थियों में ही रास्ते खोजने का आनन्द ही अलग है। ।ना हारे थे ,न हारेंगे हम वो आग हैं ,जो अपनी ही आग से चूल्हा जला लेते है, पर्वतों में ही अपना आशियाना बना लेंते है।
हम आँधी, तूफानों को अपने घरोंदें बना लिया करते हैं ।
प्रेरक प्रसंग पड़े और लोगों को भी सुनायें ।हमेशा उत्साह वर्धक बातें कीजिये ।

Language: Hindi
Tag: लेख
264 Views
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