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29 Apr 2017 · 1 min read

अलबेला हूँ

अलबेला हूँ

!

भीड़ में खड़ा हूँ, फिर भी अकेला हूँ
कदाचित इसीलिए मै अलबेला हूँ !
!
शोरगुल में धँसा पड़ा हूँ
आफतो में फँसा पड़ा हूँ
रोता सा मै हँसा खड़ा हूँ
जनसमूह ने धकेला हूँ, फिर भी मै अलबेला हूँ !!
!
गैरो के लिये तो मैला हूँ
अपनों के लिये छैला हूँ
दुखियो के सदा गैला हूँ
कोई कहे आदतन हठेला हूँ, पर जैसा भी हूँ अलबेला हूँ !!
!
दिखावे का विरोधी हूँ
जागरूकता का रोधी हूँ
जमाना कहे अवरोधी हूँ
आलोचनाएं झेला हूँ ,कारणवश मै अलबेला हूँ !!
!
साधारण सा कर्म योगी हूँ
स्वस्थ होकर भी रोगी हूँ
विषाक्त समाज में भोगी हूँ
जीता नहीं पर खेला हूँ, क्योकि मै सबसे अलबेला हूँ !!
!
मन मस्त मलंग मै रहता हूँ
हर दुःख दर्द हँसके सहता हूँ
निसंकोच दिल की कहता हूँ
दुनिया की नजर में वेला हूँ, समझता खुद को अलबेला हूँ !!
!
हमेशा सबकी सुनता हूँ
अपनी कब कह पाता हूँ
खुद ही में खोया रहता हूँ
सबकी नजर में पागलो का चेला हूँ, सम्भवत अलबेला हूँ !!
!
भीड़ में खड़ा हूँ, फिर भी अकेला हूँ, कदाचित मै अलबेला हूँ !
संशय में हूँ पर जिंदगी को ठेला हूँ , यक़ीनन मै अलबेला हूँ !!

!
!
!
डी के निवातिया

***

Language: Hindi
433 Views
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