Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jan 2018 · 1 min read

अरमान

यू ना सोच की किनारे पर खड़ा हूँ मै,
एक आगाज़ हुआ है मेरे से;
कल एक मुकम्मल काफ़िला तैयार होगा,
आज शिकायत है तुमको ;
मेरे शेर गीत गज़लो से,
कभी ऐसा भी वक्त आएगा कि मेरा नाम होगा,
और हर इरशाद मे तू बदनाम होगा।
#अरमान

Language: Hindi
Tag: शेर
198 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रोटी रूदन
रोटी रूदन
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
चक्रव्यूह की राजनीति
चक्रव्यूह की राजनीति
Dr Parveen Thakur
*अज्ञानी की कलम  *शूल_पर_गीत*
*अज्ञानी की कलम *शूल_पर_गीत*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी
बात बात में लड़ने लगे हैं _खून गर्म क्यों इतना है ।
बात बात में लड़ने लगे हैं _खून गर्म क्यों इतना है ।
Rajesh vyas
"अपदस्थ"
Dr. Kishan tandon kranti
क्यों इन्द्रदेव?
क्यों इन्द्रदेव?
Shaily
आम का मौसम
आम का मौसम
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बस हौसला करके चलना
बस हौसला करके चलना
SATPAL CHAUHAN
मात्र मौन
मात्र मौन
Dr.Pratibha Prakash
अब तो उठ जाओ, जगाने वाले आए हैं।
अब तो उठ जाओ, जगाने वाले आए हैं।
नेताम आर सी
प्रेम और आदर
प्रेम और आदर
ओंकार मिश्र
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
2967.*पूर्णिका*
2967.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
माये नि माये
माये नि माये
DR ARUN KUMAR SHASTRI
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
न थक कर बैठते तुम तो, ये पूरा रास्ता होता।
सत्य कुमार प्रेमी
कोरोना चालीसा
कोरोना चालीसा
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
एक ख्वाब थे तुम,
एक ख्वाब थे तुम,
लक्ष्मी सिंह
समय
समय
Paras Nath Jha
सियासत हो
सियासत हो
Vishal babu (vishu)
सरस्वती वंदना
सरस्वती वंदना
MEENU
वार्तालाप
वार्तालाप
Pratibha Pandey
सच्चे रिश्ते वही होते है जहा  साथ खड़े रहने का
सच्चे रिश्ते वही होते है जहा साथ खड़े रहने का
पूर्वार्थ
बुढ्ढे का सावन
बुढ्ढे का सावन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
लगन की पतोहू / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
सादगी तो हमारी जरा……देखिए
सादगी तो हमारी जरा……देखिए
shabina. Naaz
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*Author प्रणय प्रभात*
अक्सर सच्ची महोब्बत,
अक्सर सच्ची महोब्बत,
शेखर सिंह
कविता: घर घर तिरंगा हो।
कविता: घर घर तिरंगा हो।
Rajesh Kumar Arjun
तारीखें पड़ती रहीं, हुए दशक बर्बाद (कुंडलिया)
तारीखें पड़ती रहीं, हुए दशक बर्बाद (कुंडलिया)
Ravi Prakash
Loading...