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21 Nov 2019 · 1 min read

अरमान

अरमान भरे
इन्तजार भरे
खुशियों भरे
होते है वह दिन
शादी के बाद
जब सुनती बहुरिया
गोद भरी है उसकी
सहती नौ महिने
कष्ट अनेक
पल रही संतान
गर्भ में
रीति रिवाज
उम्मीदों में
कट जाता
समय अविरल
चलता जब
ठुमुक ठुमक कर
बोलता जब
तुतलाकर वो
सारे जहां की
खुशियां होती
मुट्ठी में
गुजर जाते
दिन पंख लगाकर
बुढापे में
देगी साथ
औलाद
छिन्न-भिन्न
हो जाते सपने
जब औलाद
छोड़ जाती
असहाय
माँ बाप को

स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल

Language: Hindi
176 Views
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