तेरी हर अदा निराली है
अवनि पे छायी हरियाली है
तेरी हर अदा निराली है
पथिक मुड़ -मुड़ के आ जाते
मोह- बंधन में फंस जाते
सुमन जब भी मुस्कुराते हैं
भौंरे वहीं पे गुनगुनाते हैं
सुबह की खुशनुमा लाली है
तेरी हर अदा निराली है
पल्लवित पौधे झिलमिलाते हैं
सुबह की धूप में जगमगाते हैं
प्रकृति का हृदय अनुरागी है
तेरे खुदाई में मन लागी है
अपनी तो झोली खाली है
तेरी हर अदा निराली है।
आंधी चाहें खूब जोरदार हो
ऐ झंझावात ! खबरदार हो
क्या तेरी मजाल बात नहीं अतिरेक
पाल रहा हम सबको खुदा एक।
भक्तो की करता वो रखवाली है
तेरी हर अदा निराली है।
नूर फातिमा खातून “नूरी”(शिक्षिका)
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक/ स्वरचित