Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Aug 2016 · 1 min read

अभी तो गुलाम हैं हम

किस आज़ादी की बात करते हो तुम अभी तो गुलाम हैं हम,
जयचन्दों के कारण नहीं अपने खुद के कारण बदनाम हैं हम।

हमने इंसानियत को मार दिया, संस्कारों का चोला उतार दिया,
अपनी संस्कृति मिटाने को रचते साजिशें सुबह ओ शाम हैं हम।

सिर्फ तन से हम आज़ाद हुए हैं, सही मायनों में बर्बाद हुए हैं,
अंग्रेजों वाली नीति पर चल अपनों का करते काम तमाम हैं हम।

आँख खोल कर देखो जरा, माँ भारती का हर जख्म है हरा,
सदा सिसकती रहे माँ भारती इसका खुद करते इंतजाम हैं हम।

जनता भूखी मर रही है, सिर पर छत का इंतजार कर रही है,
गद्दारों को चुनकर नेता खुद ही देश को कर रहे नीलाम हैं हम।

अगर बचा हो थोड़ा सा ईमान, जीवित हो अंदर का इंसान,
दो जवाब क्या हम आज़ाद हैं, बस जुबान से बेलगाम हैं हम।

मुलभुत सुविधाएँ मुहैया करा ना सके, गरीबी को भगा ना सके,
अपनी कमी छिपाने को यहाँ दूसरों पर लगाते इलज़ाम हैं हम।

आज़ादी का जश्न मनाऊँ कैसे, खुद के मन को समझाऊँ कैसे,
झूठे दिलासे सुलक्षणा खुद को यहाँ देते रहते सरेआम हैं हम।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत

Language: Hindi
2 Comments · 286 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
शेष
शेष
Dr.Priya Soni Khare
"व्याख्या-विहीन"
Dr. Kishan tandon kranti
सावन में तुम आओ पिया.............
सावन में तुम आओ पिया.............
Awadhesh Kumar Singh
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
हमें उससे नहीं कोई गिला भी
Irshad Aatif
Ranjeet Shukla
Ranjeet Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
अकेलापन
अकेलापन
Neeraj Agarwal
* ज़ालिम सनम *
* ज़ालिम सनम *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
ग़ज़ल - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
*केवल पुस्तक को रट-रट कर, किसने प्रभु को पाया है (हिंदी गजल)
Ravi Prakash
बदलते वख़्त के मिज़ाज़
बदलते वख़्त के मिज़ाज़
Atul "Krishn"
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
Rj Anand Prajapati
मेरा भारत
मेरा भारत
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
तुम शायद मेरे नहीं
तुम शायद मेरे नहीं
Rashmi Ranjan
*** हमसफ़र....!!! ***
*** हमसफ़र....!!! ***
VEDANTA PATEL
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
विष बो रहे समाज में सरेआम
विष बो रहे समाज में सरेआम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
I hope one day the clouds will be gone, and the bright sun will rise.
Manisha Manjari
बेवक़ूफ़
बेवक़ूफ़
Otteri Selvakumar
तपिश धूप की तो महज पल भर की मुश्किल है साहब
तपिश धूप की तो महज पल भर की मुश्किल है साहब
Yogini kajol Pathak
जीवन में सफल होने
जीवन में सफल होने
Dr.Rashmi Mishra
2999.*पूर्णिका*
2999.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सब कुछ दुनिया का दुनिया में,     जाना सबको छोड़।
सब कुछ दुनिया का दुनिया में, जाना सबको छोड़।
डॉ.सीमा अग्रवाल
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*Author प्रणय प्रभात*
सावनी श्यामल घटाएं
सावनी श्यामल घटाएं
surenderpal vaidya
जंगल का रिवाज़
जंगल का रिवाज़
Shekhar Chandra Mitra
ईमान
ईमान
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
बदल जाएगा तू इस हद तलक़ मैंने न सोचा था
Johnny Ahmed 'क़ैस'
छलते हैं क्यों आजकल,
छलते हैं क्यों आजकल,
sushil sarna
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
तू मेरी मैं तेरा, इश्क है बड़ा सुनहरा
SUNIL kumar
Loading...