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6 Sep 2017 · 1 min read

अभी चेहरे पर हिजाब रहने दो

अभी चेहरे पर हिजाब रहने दो
उसे बंद किताब रहने दो

सवाल है ढेरों किताब में
सवाल अभी राज़ रहने दो

चांद तारों से भरी रात बाकी है
बोतल में बंद शराब रहने दो

मुक्कमल नही हुई गुफ्तगू
बाकी अभी रात रहने दो

टूट गए हो जब सपने सारे
आँखों में वो ख्वाब रहने दो

तिश्र्गी जब तक बूझे नही
आब की तलाश रहने दो

मंजिल दूर ही सही मिलेगी जरूर
हार कर भी शेष अभी प्रयास रहने दो

आज है ज़िन्दगी जी लो हर पल
असफार में अज़ाब की रात रहने दो

शुष्क है मरुस्थल यहाँ कब से
मरुस्थल में अभी बरसात रहने दो

बेसुध है खुमार में ग़ालिब उनके
हाथ में जाम का गिलास रहने दो

जल रहा है आग में उनकी आज तक
भूपेंद्र को होता यूँ ही ख़ाक रहने दो

भूपेंद्र रावत
6/09/2017

1 Like · 358 Views
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