अभिशाप है दहेज
है विडम्बना
पढ़ी लिखी
नौकरी पेशा
बेटियां भी
है आज
दहेज से
पीडित
चाहिए
समाज में
दहेज अनेक
लेकिन
करते लड़के
जब प्रेम विवाह
लाते क्या
दहेज अनेक ?????
जाते जब
समाज में
शादी के लिए
करते
अपमान
बेटियों का
अनेक
लेकिन
फंसते जब
प्रेम विवाह के
जाल में
करते
माता पिता
का ही
अपमान अनेक
दो तिलांजली
दहेज को
जीवन उन्मुक्त
जीने दो
बेटियों को
दहेज न हो
मांग लड़को की
सच्चा
जीवनसाथी हो
जीवन में
स्वलिखित
लेखक संतोष श्रीवास्तव भोपाल