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10 Dec 2017 · 1 min read

अभिव्यक्ति (कविता)

अभिव्यक्ति की आज़ादी है,
जो चाहो ‌सो बोलो।
पर वाणी की भी मर्यादा है,
जहर न उसमें घोलो।
मीठी भाषा में कह सकते,
अच्छे हो या बुरे विचार।
गंदी भाषा बोलकर,
होता स्वयं का उपहास।
भाषा होती व्यैक्तिव दर्पण,
सोच समझकर बोलो।
पर वाणी की भी मर्यादा है,
जहर न उसमें घोलो।।
मीठे बोल बोल भिखारी,
करते गुजर बसेरा।
तीखी भाषा बोलने पर,
दुत्कार मिलती है घेरा।
शालीनता यदि हो वाणी में,
शत्रु भी मित्रवत हो जाता।
जुमलेबाजी भाषा हो अगर,
अपनो से महाभारत हो जाता।
अंधों के अंधे कहने पर,
कौरव पांडव में युद्ध हुआ।
जो ‌अच्छी न‌‌ लगे बात हमें,
बोलने के पहले तौलो।
पर वाणी की भी मर्यादा है,
जहर न उसमें घोलो।
मीठी-मीठी वाणी से,
कोयल सभी को भाती।
कर्कश वाणी कौआ की,
किसी को नहीं सुहाती।
मृदुभाषी प्रशंसा पाता,
वाणी होती है अनमोल।
प्रभू का वरदान है वाणी,
कुछ का कुछ मत बोल।
फूहड़ता शोभा नहीं पाती,
तौल तौल कर ही बोलो।
पर वाणी की भी मर्यादा है,
जहर न उसमें घोलो।
राजेश कौरव”सुमित्र”

Language: Hindi
5380 Views
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