Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Jul 2021 · 3 min read

अभिलाषा

सारी रात बैंच पर बैठे बैठे प्रवीन प्रतीक्षा करता रहा । सुबह 5:00 बजे हल्की सी झपकि आई ही थी कि तब तक कानों में आवाज पड़ी – ” बधाई हो लड़की हुई है ” । एकाएक लटकी गर्दन डॉक्टर की तरफ घूमी और देखते ही देखते रह गया । महीनों भर की प्रतीक्षा एकदम चेहरे से उतर गई। यह क्या इस बार भी लड़की हुई है ? सोचा था एक बार लड़का होगा लेकिन दूसरी भी लड़की हुई है । खुद की किस्मत को कोसता हुआ बेंच में बैठे-बैठे सोचता रहा। उधर प्रवीन के पिताजी खुश थे । उन्हें बिल्कुल भी फर्क नहीं था कि लड़का हो या लड़की बस इस अवस्था में समय व्यतीत करने के लिए एक साथी और हो गया । दादा अपनी नवजात पोती को देखने को आतुर थे। अचानक नजर प्रवीन की तरफ पड़ी और बोले- ” बेटा बधाई हो लक्ष्मी आई है ” प्रवीन कुछ नहीं बोला । पिताजी समझ गए । प्रवीन को बहुत समझाया। लेकिन बेटा और बेटी में जो अंतर उसके मन में चल रहे थे वह बहुत गहरे थे । जिस कारण वह पिता की बात नहीं समझ पा रहा था। इतने में घर से मां का भी फोन आ गया । खुद बात नही की । फोन पिता को पकड़ा कर दूर खड़ा हो गया । पिता ने मुस्कुराते हुए खबर दी कि पोती हुई है। मां ने भी निराश होकर फोन काट दिया । पिता भी सोचने लगे कि इनकी कुपोषित बुद्धि से पता नहीं इस प्रकार की भावना कब दूर होगी ।
मन मार कर कुछ देर बाद प्रवीन अपने पिता के साथ अंदर कमरे में गया जहां पत्नी के बगल में नन्ही सी कन्या लेटी हुई थी। दादा अपनी पोती के स्वरूप को देखकर फूले नहीं समा रहे थे। कुछ देर प्रवीन भी एकटक अपनी बेटी को देखते रहा। पत्नी से नजर नहीं मिला पा रहा था । पत्नी भी मुख पर हल्की सी मुस्कान लिए प्रवीन की तरफ देख रही थी वह समझ गई थी कि पति के मन में क्या चल रहा है? परंतु कुछ नहीं बोली । दादा ने पोती को गोदी में लेकर खूब लाड प्यार किया और प्रवीन की तरफ से देखकर बेटी को गोद मे पकड़ने का इशारा किया । गोदी में पकड़ते ही बेटी का स्वरूप देखकर प्रवीन सब कुछ भूल गया था, लेकिन मन में पाले विकार उसे बार बार परेशान कर रहे थे । बेटी को अपने पिता के पास देकर प्रवीन कमरे से बाहर आ गया । उसकी आशा निराशा में बदल गई थी ।
समाज के ताने , रिश्तेदारों के टोका टाकी, मन ही मन आत्म ग्लानि हो रही थी । पड़ोस में मिश्रा जी के दोनों बेटे हैं । क्या क्या नहीं सोचा था , सब पानी फिर गया । खैर जो हो गया सो हो गया मन को बहला-फुसलाकर झूठी हंसी लेकर पुनः अंदर कमरे में गया । थोड़ी देर बाद बाहर दुकान से मिठाई लेकर अस्पताल में सभी स्टाफ में मिठाई बांटी । वहीं स्टाफ में महिला डॉक्टर को देखकर मन ही मन सोचने लगा यह भी तो बेटी रही होगी , आज इतने बड़े अस्पताल में डॉक्टर है । इसी तरह अपनी दोनो बेटियों का अच्छी तरह लालन पालन कर इनकी तरह डॉक्टर बनाऊंगा ।
मित्रों वर्षों से हमारे समाज में बेटी होना अभिशाप माना जाता है। आखिर क्यों? बेटी नहीं होगी तो भविष्य में जिस बेटे की आस लगाए हो वह कैसे प्राप्त होगा ? संसार में पुरुष ही पुरुष रहेंगे तो बिन स्त्री के पुरुष का अस्तित्व क्या है? इस प्रकार के कुपित विचारों को अपने दिमाग से निकाल दें कि बेटा हुआ है या बेटी। दोनों में समानता रखें। भेदभाव ना करें। बेटी को जन्म आपने दिया है। वह अपनी इच्छानुसार आपके घर में नहीं जन्मी।

अहो! भाग्य जिनके घर में लक्ष्मी जन्म लेती है …..

©®- अमित नैथानी ‘मिट्ठू’

2 Likes · 4 Comments · 440 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*जहाँ पर घर नहीं बसते, वहीं पर वृद्ध-आश्रम हैं(मुक्तक)*
*जहाँ पर घर नहीं बसते, वहीं पर वृद्ध-आश्रम हैं(मुक्तक)*
Ravi Prakash
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
इंसान स्वार्थी इसलिए है क्योंकि वह बिना स्वार्थ के किसी भी क
Rj Anand Prajapati
वक़्त
वक़्त
विजय कुमार अग्रवाल
■ आज की बात
■ आज की बात
*Author प्रणय प्रभात*
'सरदार' पटेल
'सरदार' पटेल
Vishnu Prasad 'panchotiya'
प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
प्यार है रब की इनायत या इबादत क्या है।
सत्य कुमार प्रेमी
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
चाल, चरित्र और चेहरा, सबको अपना अच्छा लगता है…
Anand Kumar
23/64.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/64.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हिंदी का आनंद लीजिए __
हिंदी का आनंद लीजिए __
Manu Vashistha
आओ मिलकर हंसी खुशी संग जीवन शुरुआत करे
आओ मिलकर हंसी खुशी संग जीवन शुरुआत करे
कृष्णकांत गुर्जर
"उजला मुखड़ा"
Dr. Kishan tandon kranti
जाने कैसी इसकी फ़ितरत है
जाने कैसी इसकी फ़ितरत है
Shweta Soni
ऐ वसुत्व अर्ज किया है....
ऐ वसुत्व अर्ज किया है....
प्रेमदास वसु सुरेखा
School ke bacho ko dusre shehar Matt bhejo
School ke bacho ko dusre shehar Matt bhejo
Tushar Jagawat
नादान था मेरा बचपना
नादान था मेरा बचपना
राहुल रायकवार जज़्बाती
खाक पाकिस्तान!
खाक पाकिस्तान!
Saransh Singh 'Priyam'
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
शिव ही बनाते हैं मधुमय जीवन
कवि रमेशराज
मुक्तक
मुक्तक
दुष्यन्त 'बाबा'
जा रहा हूँ बहुत दूर मैं तुमसे
जा रहा हूँ बहुत दूर मैं तुमसे
gurudeenverma198
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
आजकल के लोगों के रिश्तों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करता है।
आजकल के लोगों के रिश्तों की स्थिति पर चिंता व्यक्त करता है।
पूर्वार्थ
अनंतनाग में परचम फहरा गए
अनंतनाग में परचम फहरा गए
Harminder Kaur
तेरी मधुर यादें
तेरी मधुर यादें
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
Humans and Animals - When When and When? - Desert fellow Rakesh Yadav
Humans and Animals - When When and When? - Desert fellow Rakesh Yadav
Desert fellow Rakesh
💐प्रेम कौतुक-358💐
💐प्रेम कौतुक-358💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
इश्क़ और इंकलाब
इश्क़ और इंकलाब
Shekhar Chandra Mitra
*पुरानी पेंशन हक है मेरा(गीत)*
*पुरानी पेंशन हक है मेरा(गीत)*
Dushyant Kumar
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
वीर वैभव श्रृंगार हिमालय🏔️☁️🌄🌥️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इस मुकाम पे तुझे क्यूं सूझी बिछड़ने की
इस मुकाम पे तुझे क्यूं सूझी बिछड़ने की
शिव प्रताप लोधी
Loading...