Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Dec 2017 · 3 min read

अभिनय

संस्मरण

विस्मित सा उस नौजवान को गौर से देखने पर भी यादास्त में नही आ रहा , वह पैरो मे झुकने के बाद बोला “सर , मै विक्रम हूँ , आप यही हैं सर । ” मैं बेबूझ सा मुस्कान के साथ कहता हूँ ” हाँ तो बिल्कुल ठीक भी हूँ और यही हूँ । ” वह इधर उधर देखते हुए बोला सर चलू , काम पर जाना है। ” वह चला जाता हैं ।तभी मेरे साथ मुंडेर पर बैठे मेरे साथी ने मुझे आगाह किया -अब चले १५ मिनट से ज्यादा हो गये रोज अपन १० मिनट तक का ही रेस्ट लेते है, मैं अपने ख्यालों से बाहर आता हूँ , और बेमन से उठ खड़ा होता हूँ और अपने भ्रमण के समापन के लिए घर की और बढने लगता हूँ , मेरे साथी रेल्वे से रिटायर ड्राइवर हैं , पता नही किस आकर्षण मे हम अब एक-दूसरे के घनिष्ठतम है, हर दिन एक बार मिलना न हो तो भीतर रिक्तता भर जाती है, मैंने यह अनुभव किया है यह प्रेम का पौधा सहज ही अंकुरित होकर पल्लवित होता रहता है बस  राग मिल जाता है और यह घट जाता है, और सही मायने में जीवंतता व जिंदगी की खूबसूरती इसी मे प्रफुल्लित होती है, पीछे से मेरे साथ ही रिटायर हुए बाबू जी तेजी से आकर साथ हो लेते है और बताते हैं ” सर , अभी विक्रम मिला था , आपका पूछ रहा था, मैंने बताया अभी निकले है हनुमान मंदिर के  आगे की मुंडेर पर बैठते हैं , क्या वह मिला सर आपको । ”  मैंने अनमने ही कहा,  “हाँ पर पहचाना नही, कौन विक्रम ” वही सर जो अपने स्कूल का गायक लडका था , वाह कितनी बढिया लता मंगेशकर की आवाज में गीत सुनाया करता था  ” मेरे स्मृति पटल पर अतीत के क्षण तेरने लगे , याद आया कि किस भाँति उनके माता-पिता ने आकर स्कूल मे झगड़ा किया था , और हिदायत दी थी ” अब कभी हमारे लडके से कोई नाटक वाटक मे मत करवाना , हम नाच नचैया वाले नही है, हमारे खानदान में कभी किसी ने गाना वाना नही गाया , यह ओछे लोगो का काम हैं ।” विगत बिंब से मैं स्वयं को भूला सा चल रहा था, कि एक मित्र ने मुझे खींच कर साइट मे किया , किसी जीप वाले और पैसेंजर के बीच तकरार चल रही है,  ” पूरे पैतीस ही लूँगा, तुम किस जमाने की बात करते हो, यहाँ हर दिन डीजल के भाव बढते है  ” सावधानी से चलना जरूरी है ट्राफिक भी तो खूब बढ गया है मैं मन ही मन सोचता हुआ आगे बढ़ने लगता हूँ तभी बाबू जी बोले ” आजकल डीजल सैड में 8000 रूपये फीक्स पर धंधा करता हैं बता रहा था , साहब यदि घर वालो ने मेरी गाने की चाहत में  अडंगा न डाला होता  तो आज प्रसिद्ध गायक होता ” बाबू जी की बात लगता है चारों और से गूंज कर मेरे कान के पर्दे पर टकरा रही है, मुझे अनायास याद आता है बचपन मे देखे एक सर्कस की , जो हमारे गांव से दूर तहसील मुख्यालय पर आया था, रात को पैदल चलकर हम सभी दोस्त देखने गये थे, और उस दृश्य पर ध्यान अटक रहा था जहाँ पर शुरूआत मे ही एक छोटा सा लडका बंदर की वैश भुषा मे आता है, बड़ा प्यारा सा, खेल दिखा रहा है, अपने मुँह से उसने कई प्रकार की संगीत की धुने उत्पन्न की , कई सुन्दर सरस गीतो की कडियाँ गुनगुनाई , हम सभी बड़े आनंदित होकर तालियाँ बजाने लगे, बहुत मनहर और गजब की कला थी उसके पास,  सभी लोग बहुत प्रभावित थे कि एक बड़ी लड़की बंदरियाँ की वेशभूषा में आती है, और उसे खींचती हुई बाहर ले जाती है, छोटा बच्चा जो बंदर बना हैं कहता है ” सुनो, यह मेरी माँ है और कहती है कि नाटक में काम नही करूँ अपितु मै एक पटवारी हो जाऊँ ”
मित्र टटोलने के अंदाज मे कहते है, आप मेरे घर चल रहे है न , आपका घर पीछे छूट गया ……।।।

छगन लाल गर्ग “विज्ञ”!

Language: Hindi
469 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गलतियां
गलतियां
Dr Parveen Thakur
ईश्वर
ईश्वर
Neeraj Agarwal
"हास्य व्यंग्य"
Radhakishan R. Mundhra
23/33.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/33.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
कश्मीर में चल रहे जवानों और आतंकीयो के बिच मुठभेड़
कश्मीर में चल रहे जवानों और आतंकीयो के बिच मुठभेड़
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
!! पत्थर नहीं हूँ मैं !!
Chunnu Lal Gupta
***
*** " कभी-कभी...! " ***
VEDANTA PATEL
क्या है उसके संवादों का सार?
क्या है उसके संवादों का सार?
Manisha Manjari
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
ज़िन्दगी सोच सोच कर केवल इंतजार में बिता देने का नाम नहीं है
Paras Nath Jha
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
खुद ही रोए और खुद ही चुप हो गए,
Vishal babu (vishu)
तेरे जाने के बाद ....
तेरे जाने के बाद ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
चलिए खूब कमाइए, जिनके बच्चे एक ( कुंडलिया )
चलिए खूब कमाइए, जिनके बच्चे एक ( कुंडलिया )
Ravi Prakash
Life is a rain
Life is a rain
Ankita Patel
कजरी लोक गीत
कजरी लोक गीत
लक्ष्मी सिंह
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
प्यार विश्वाश है इसमें कोई वादा नहीं होता!
Diwakar Mahto
"एक नज़्म लिख रहा हूँ"
Lohit Tamta
मेरा चुप रहना मेरे जेहन मै क्या बैठ गया
मेरा चुप रहना मेरे जेहन मै क्या बैठ गया
पूर्वार्थ
बाल कविता: चूहा
बाल कविता: चूहा
Rajesh Kumar Arjun
शासक की कमजोरियों का आकलन
शासक की कमजोरियों का आकलन
Mahender Singh
Weekend
Weekend
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रोकोगे जो तुम...
रोकोगे जो तुम...
डॉ.सीमा अग्रवाल
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
Neelam Sharma
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
ক্ষেত্রীয়তা ,জাতিবাদ
DrLakshman Jha Parimal
मैथिली हाइकु / Maithili Haiku
मैथिली हाइकु / Maithili Haiku
Binit Thakur (विनीत ठाकुर)
आसमान को उड़ने चले,
आसमान को उड़ने चले,
Buddha Prakash
#शेर
#शेर
*Author प्रणय प्रभात*
जब भी तेरा दिल में ख्याल आता है
जब भी तेरा दिल में ख्याल आता है
Ram Krishan Rastogi
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
कोई दौलत पे, कोई शौहरत पे मर गए
The_dk_poetry
"वो"
Dr. Kishan tandon kranti
*कुकर्मी पुजारी*
*कुकर्मी पुजारी*
Dushyant Kumar
Loading...