Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 Sep 2017 · 1 min read

अब ये न बेबसी रहे

ग़ज़ल
*******
ग़र चाँदनी खिली रहे
तो दूर तीरग़ी रहे
?
अरमान सारे ख़ाक़ हैं
बस दिल में बेबसी रहे
?
खुशियाँ मिली है सारी तो
आँखों में क्यों नमी रहे
?
रूठो न यार मुझसे तुम
ये दोस्ती बनी रहे
?
आखों से जाम छलका दे
फिर दूर तिश्नग़ी रहे
?
जब तक रहे तू सामने
ये सांस भी रुकी रहे
?
दामन छुड़ा न मुझसे तू
कुछ देर और खड़ी रहे
?
मँहगाई ने रुला दिया
अब ये न मुफ़लिसी रहे
?
अब हम जहाँ मिलें सनम
वो शाम क्यूँ ढली रहे
?
तेरे बग़ैर होठों पर
फ़रियाद इक दबी रहे
?
“प्रीतम” न प्यार हो जुदा
सबको सनम मिली रहे
?
प्रीतम राठौर भिनगाई
श्रावस्ती (उ०प्र०)
?????????
2212 1212
????????

410 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Are you strong enough to cry?
Are you strong enough to cry?
पूर्वार्थ
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
लड़की कभी एक लड़के से सच्चा प्यार नही कर सकती अल्फाज नही ये
Rituraj shivem verma
प्रेम अटूट है
प्रेम अटूट है
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
ये मतलबी दुनिया है साहब,
ये मतलबी दुनिया है साहब,
Umender kumar
चोर कौन
चोर कौन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
समय के हाथ पर ...
समय के हाथ पर ...
sushil sarna
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
लगाओ पता इसमें दोष है किसका
gurudeenverma198
अहिल्या
अहिल्या
Dr.Priya Soni Khare
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
क्या बचा  है अब बदहवास जिंदगी के लिए
क्या बचा है अब बदहवास जिंदगी के लिए
सिद्धार्थ गोरखपुरी
मेरे मरने के बाद
मेरे मरने के बाद
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
आप इतना
आप इतना
Dr fauzia Naseem shad
#लघुकविता
#लघुकविता
*Author प्रणय प्रभात*
वो किताब अब भी जिन्दा है।
वो किताब अब भी जिन्दा है।
दुर्गा प्रसाद नाग
आई होली आई होली
आई होली आई होली
VINOD CHAUHAN
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े  रखता है या
दादी दादा का प्रेम किसी भी बच्चे को जड़ से जोड़े रखता है या
Utkarsh Dubey “Kokil”
परमात्मा
परमात्मा
ओंकार मिश्र
प्यार और विश्वास
प्यार और विश्वास
Harminder Kaur
Dr अरूण कुमार शास्त्री
Dr अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
तारिणी वर्णिक छंद का विधान
Subhash Singhai
2939.*पूर्णिका*
2939.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमारी सोच
हमारी सोच
Neeraj Agarwal
जो मनुष्य सिर्फ अपने लिए जीता है,
जो मनुष्य सिर्फ अपने लिए जीता है,
नेताम आर सी
राजनीति के क़ायदे,
राजनीति के क़ायदे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सबूत- ए- इश्क़
सबूत- ए- इश्क़
राहुल रायकवार जज़्बाती
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
किन्तु क्या संयोग ऐसा; आज तक मन मिल न पाया?
संजीव शुक्ल 'सचिन'
माँ महागौरी है नमन
माँ महागौरी है नमन
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
हार को तिरस्कार ना करें
हार को तिरस्कार ना करें
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...