अब मौन नही रहना है
हृदय आज बहुत ही व्यथित
क्यो दुखो के छाए बादल
क्यो हुई मजबूर आज तू
क्यो चहु ओर छाया अंधियारा
क्यो चित्कार उठा अंतर्मन
क्यो तूने ये कदम उठाया
क्यो नही लड़ी, भय न भगाया
क्यो तू जान देने को हुई तैयार
आज अश्रु मेरी आंखो में
क्यो बेटी कर रही खुदकुशी
क्यो आयशा नही लड़ी तुम
क्यो अपनी तुमने दे दी जान
कानो में वही आवाज जो तुमने
छोड़ी बस अंतिम बार
क्यो समाज पर बोझ नही है
ऐसे दरिंदो का ये भार
इस कायर पुरुष की खातिर बेटी
चल उठ ओर हुँकार भर
अब न कोई आयशा बने
कोई घर आँगन माँ का
अब कभी न सुना हो
अश्रुपूरित नयनो से तुमको
विदा किया फिर से आने को
चल हो तैयार मुकाबला होगा
जीतेगी बेटी ही अब से
तब गाएंगे गीत खुशी के
बेटी होगी निर्भय तैयार
अब मौन नही रहना हमको