अबला नही सबला बन ऐसे भेड़ियों को सबक सिखाऊंगी मैं।
अबला नही सबला बन ऐसे भेड़ियों को सबक सिखाऊंगी मैं।।
■देखेगा कोई मेरे अपनों को गंदी नियत से,,,,
मैं टूट पड़ जाऊँगी शेरनी की नीयत से।।।।।
नोंच दबोच और खरोंच लूँगी ऐसे दरिंदों के नेत्रों को मैं।।
अबला नही सबला बन ऐसे भेड़ियों को सबक सिखाऊंगी मैं।।।
■रोकेगा जब कोई राह में मेरा रास्ता,,,
उठा चरण पादुका सर पर उसके मड दूंगी मै।
तोड़ और मरोड़ दूंगी ऐसे बदमाशों के हाथों को सदा के लिये मैं।।
अबला नही सबला बन ऐसे भेड़ियों को सबक सिखाऊंगी मैं।।
■इतेफाक से अगर फ़स भी गई किसी के चुंगल में,,,
हाथ लगाये मुझें कोई राक्षस उससे पहले अपनी जाँ को ख़ुदा के हवाले कर दूँगी मैं,,,
रानी लक्ष्मी बाई,दुर्गावती बन खुद ही सीने पर खंजर अपने मार लुंगी मैं।।।।।।
ऐसे वहशीपन कुत्तों के हाथ न कभी आऊँगी मैं।।
अबला नही सबला बन ऐसे भेड़ियों को सबक सिखाऊंगी मैं।।।।
■लगाएगा जब कोई मुझ पर इल्ज़ाम ये तोहमत मेरे चरित्र पर,,,,
ज्वाला की भांति फट पड़ूँगी उसकी हर सवाल का जवाब देने के लिए,,,
सारे इल्ज़ाम को और तोहमतो को बेबुनियाद साबित कर खुद को चाँद के भांति निष्कलंक कर लुंगी मैं।।।
ऐसे छिछोरेपन के इंसानो को कोर्ट कचहरी तक घसीटते ले जाऊँगी मैं।।।।।
अबला नही सबला बन ऐसे भेड़ियों को सबक सिखाऊंगी मैं।।।।।।।
रचनाकार-गायत्री सोनू जैन
सहायक अध्यापिका मन्दसौर
मोबाइल न.7772931211
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