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31 May 2020 · 1 min read

अबकई वोट डालबें जाने,

अबकई वोट डालबे जाने,
सोच समझ (बटन) दबाओनें,।

गलती हो गई थी जो हमसे,
बहुतई हम पछताने,।

दाबे झूटे सब थे उनके,
फिर वो यहां न चिताओंने,।

जीत वोट हमरों पाके,
इते फिर बे नई आये हैं,।

अबकई वोट डालबे जाने,
सोच समझ (बटन) दबाओंने,।

करी घोषणाएं बहुतों सारी,
ऐ कई ना कर पाओंने,।

देश में न करी इतनी रैली,
विदेशों में घूम आये हैं,।

बजट भारी और घोषणाएं सारी,
ऐ कई पूरे न हो हो पाए हैं,।

अबकई वोट डालबे जाने,
सोच समझ (बटन) दबाओंने,‌।

ऐ धोखा दे गए किसानों को भाई,
उनको अमीर बतलाओं हैं,।

कितनी जिल्लत झेली किसानों ने,
फसलों के दाम न चुकाएं हैं,।

कर्ज़ में डूबे देश के किसान हैं ,
कहते किसानों कर्जा माफ करना पाप हैं,।

मोटो को भगाया पैसा लेकर,
और उनका कर्जा माफ हैं,।

हाय कितना हुआ लोगों पर अत्याचार हैं,
ऐ जनहित की नहीं ऐ दोगली सरकार हैं,।

अबकई वोट डालबें जाने ,
सोच समझ (बटन) दबाओंने,।।

लेखक—-Jayvind Singh Ngariya

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 2 Comments · 374 Views
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