Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Jul 2016 · 1 min read

अफ़सोस

अफ़सोस जताने ये मन निकला
क्यों ज्ञान में खोखलापन निकला
हम करते रहे श्रेष्ठ सिद्ध स्वयं को
मन से न अहम का घुन निकला
परिवार बिना माने अबला
ये कैसा नया उसूल निकला
जो साथ रहे बनकर सहयोगी
उन पर फिर ये रोष ही निकला
नहीं स्वीकार किया नवसुमन को
ये मधुवन क्यों पतझड़ निकला
अनुभव फीका क्यों पड़ जाता
जब अंकुर कोई नया निकला
अभी देर बहूत है समझाने में
वास्तव समझा क्या क्या निकला
आओ कारें फिर मन्थन चिंतन
बोया आम तो क्यों बबूल निकला
आग्रह है मानसिकता बदलो
तिमिर मिटा नव मार्ग निकला
हे श्री मदन कृपा कर दो
आ पाये हमे मिलजुल चलना
आहत बहुत मैं दृष्टिकोण से
क्यों स्त्री को इतना तुच्छ समझा
हे विवेक शील विद्जन जानो
यहीं सृष्टि का उदभव निकला

क्षमा सहित
??????

Language: Hindi
11 Likes · 2 Comments · 346 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr.Pratibha Prakash
View all
You may also like:
श्रम दिवस
श्रम दिवस
SATPAL CHAUHAN
बुलंद हौंसले
बुलंद हौंसले
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
#तेवरी / #त्यौहार_गए
#तेवरी / #त्यौहार_गए
*Author प्रणय प्रभात*
काजल
काजल
SHAMA PARVEEN
सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
सच ज़िंदगी के रंगमंच के साथ हैं
Neeraj Agarwal
हाय.
हाय.
Vishal babu (vishu)
गीत(सोन्ग)
गीत(सोन्ग)
Dushyant Kumar
बारिश
बारिश
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
23/220. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/220. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अब तो  सब  बोझिल सा लगता है
अब तो सब बोझिल सा लगता है
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
तेवरीः तेवरी है, ग़ज़ल नहीं +रमेशराज
कवि रमेशराज
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
आखिर उन पुरुष का,दर्द कौन समझेगा
पूर्वार्थ
साधना
साधना
Vandna Thakur
बहन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य ही नहीं बल्कि धर्म भी है, पर
बहन की रक्षा करना हमारा कर्तव्य ही नहीं बल्कि धर्म भी है, पर
जय लगन कुमार हैप्पी
तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।
तरुण वह जो भाल पर लिख दे विजय।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
उसकी एक नजर
उसकी एक नजर
साहिल
हो गया
हो गया
sushil sarna
जो घर जारै आपनो
जो घर जारै आपनो
Dr MusafiR BaithA
रिश्ते चाहे जो भी हो।
रिश्ते चाहे जो भी हो।
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
गम के पीछे ही खुशी है ये खुशी कहने लगी।
सत्य कुमार प्रेमी
मोबाईल नहीं
मोबाईल नहीं
Harish Chandra Pande
अधूरा ज्ञान
अधूरा ज्ञान
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
मैं खुश हूँ! गौरवान्वित हूँ कि मुझे सच्चाई,अच्छाई और प्रकृति
विमला महरिया मौज
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
वंदना
वंदना
Rashmi Sanjay
व्यक्तित्व और व्यवहार हमारी धरोहर
व्यक्तित्व और व्यवहार हमारी धरोहर
लोकेश शर्मा 'अवस्थी'
No battles
No battles
Dhriti Mishra
एक बार बोल क्यों नहीं
एक बार बोल क्यों नहीं
goutam shaw
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ये गजल बेदर्द,
Sahil Ahmad
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
Loading...