Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jan 2021 · 1 min read

अपलक टेर

अपलक टेर (लघुकथा )

सखी सुरूचि , तुम्हारा यूँ अपलक निहारना और पुकारे जाने पर अनसुनी करना । इस बात का प्रमाण है कि तुम किसी की याद में खोयी हुई हो पर सखी किसकी ? बताओ तो सही , सखी वो कोन है ?

सुरूचि , “सखी सुनीति ! हृदय जिसके लिए व्याकुल है जिसके लिए अपलक टेर रहा है वो प्रिय के अतिरिक्त कोन हो सकता है । विगत दिवस उनका गैल में मिलना और आलिंगनबद्ध करना याद आता है ।

उस संस्पर्श की जीवंतता अब भी स्मृतियों में सहेजे हूँ “पर जीवन में किसी प्रियजन को त्याज्य पर पुरूष से विवाह असंख्य बैचेनियां उत्पन्न करता है इसलिये सखी “अपने में खोयी हूँ अपलक निहार रहीं हूँ ।”

सखी सुरूचि ,”चिंता और भावी डर की आशंकाओं ने तुमको दुखी कर दिया है चाहो तो प्रिय को प्रेम पांति लिख अपनी आशंकाओं को शांत करो और प्रिय से प्रणय को निभाओ ।

सखी अचला,”प्रियवर के नाम लिखी पांति प्रिय को पहुँचा कर मुझे कृतार्थ करो और कहना सखि सुरूचि आपकी बाट देखती है “. !

Language: Hindi
74 Likes · 3 Comments · 358 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from DR.MDHU TRIVEDI
View all
You may also like:
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
Ranjeet kumar patre
" यही सब होगा "
Aarti sirsat
फांसी के तख्ते से
फांसी के तख्ते से
Shekhar Chandra Mitra
अभिमान  करे काया का , काया काँच समान।
अभिमान करे काया का , काया काँच समान।
Anil chobisa
गुस्सा दिलाकर ,
गुस्सा दिलाकर ,
Umender kumar
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
"प्रेरणा के स्रोत"
Dr. Kishan tandon kranti
((((((  (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
(((((( (धूप ठंढी मे मुझे बहुत पसंद है))))))))
Rituraj shivem verma
वो मेरे दिल के एहसास अब समझता नहीं है।
वो मेरे दिल के एहसास अब समझता नहीं है।
Faiza Tasleem
■ सनातन पर्वों के ख़िलाफ़ हमारे अपने झूठे संगठन।
■ सनातन पर्वों के ख़िलाफ़ हमारे अपने झूठे संगठन।
*Author प्रणय प्रभात*
15- दोहे
15- दोहे
Ajay Kumar Vimal
साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ]
साक्षात्कार एक स्वास्थ्य मंत्री से [ व्यंग्य ]
कवि रमेशराज
आई होली
आई होली
Kavita Chouhan
फ़र्क
फ़र्क
Dr. Pradeep Kumar Sharma
आज वो भी भारत माता की जय बोलेंगे,
आज वो भी भारत माता की जय बोलेंगे,
Minakshi
विषम परिस्थितियों से डरना नहीं,
विषम परिस्थितियों से डरना नहीं,
Trishika S Dhara
*ऋषि अगस्त्य ने राह सुझाई (कुछ चौपाइयॉं)*
*ऋषि अगस्त्य ने राह सुझाई (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
वो तो शहर से आए थे
वो तो शहर से आए थे
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तू प्रतीक है समृद्धि की
तू प्रतीक है समृद्धि की
gurudeenverma198
हमारी जिंदगी ,
हमारी जिंदगी ,
DrLakshman Jha Parimal
हिन्दी पर विचार
हिन्दी पर विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/176.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
💐प्रेम कौतुक-311💐
💐प्रेम कौतुक-311💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
सावन आया
सावन आया
Neeraj Agarwal
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
तेरी यादों ने इस ओर आना छोड़ दिया है
Bhupendra Rawat
मुहब्बत
मुहब्बत
अखिलेश 'अखिल'
वो तो है ही यहूद
वो तो है ही यहूद
shabina. Naaz
मुस्कानों की परिभाषाएँ
मुस्कानों की परिभाषाएँ
Shyam Tiwari
कोई शिकवा है हमसे
कोई शिकवा है हमसे
कवि दीपक बवेजा
तुम न आये मगर..
तुम न आये मगर..
लक्ष्मी सिंह
Loading...