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17 Dec 2020 · 1 min read

अपमानित

अपमानित

मैं
अपमानित हूँ सदियों से
गौरवान्वित शब्द
छुपा रहा धर्मग्रन्थों के पीछे
सिंहासन के नीचे
सेठों की तिजोरी की
आड़ में

मेरा धुँधलापन
कायम रखने को
व्यवस्था ने रचे
तमाम प्रपंच

हर संभव रखा मुझे
शिक्षा से दूर
सिंहासन से दूर
संपत्ति से दूर

मैं पहाड़ों से टकराया
मैं शिखर से टकराया
मैं जमीं से टकराया

इस अपमान ने
मेरी आँखों में आँसू नहीं
आग पैदा की है
जो जलाती रहेंगी
मेरी दुर्बलताओं को
सदियों तक

-विनोद सिल्ला©

Language: Hindi
4 Likes · 2 Comments · 318 Views
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