अपनों के सम्मुख मगर रीता है इंसान।
मंच के समक्ष सादर संप्रेषित ?
दुनिया से लड़कर सदा,जीता है इंसान।।
अपनों के सम्मुख मगर,रीता है इंसान।(१)
ऊपर से दिखता सहज,अंदर से बेचैन।
बहुरूपी के रोल में,जीता है इंसान।।(२)
जर्जर अरु मैले वसन,खुद धारे है गात,
लेकिन दूजों के लिए,सीता है इंसान।।(३)
पीता है इंसान।
खुद करता नीचे करम,देता नित उपदेश,
लेकिन औरों के लिए, गीता है इंसान।
?❤️?
अटल मुरादाबादी