Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 May 2021 · 2 min read

” अपनों की राह वो तकता है “

” अपनों की राह वो तकता है ”
——————————

एक छोटा सा नन्हा सा बालक
मां के पहलू से निकल कर,
इस धरती पर आता है
वो नादान निश्चल सा बच्चा ,
जमाने के साथ रूबरू जब होता है
ना जाने कहां खो जाती है उसकी,
वो चंचलता वो चपलता,
बस केवल एक अबोध प्रश्न सा,
उसके ज़हन में टकराता है
क्या यही वजह है उसके,
इस संसार में आने की या
मंतव्य और कोई है
उसके जहां में आने का या
कुछ और ही सोच रखा है
बनाने वाले ने उस अबोध की खातिर।

इसी ऊहापोह में उलझा सा
वो जगत यात्रा करता है,
दिन रात गलाता है स्वयं को
तकलीफ़ स्वयं वो झेलता है,
बचपन कब पीछे छूट जाता है
ये वो जान ही नहीं पाता,
जवानी की दहलीज पर आकर
प्रतिस्पर्धा को झेलता है,
एक ऐसी अंधी दौड़ में
अपने आप को खड़ा पाता है,
कब जवानी जाती है बीत
और बुढ़ापा लेता है घेर,
इल्म इस बात का उसको
होने ही नहीं पाता है,
जीवन भर की उसकी मेहनत का
सिला उसे क्या मिल पाता है?

जीवन की संध्या बेला में
जब वो पलट कर देखता है,
ना जाने क्या सोच कर आंखे
बरबस ही नम हो जाती हैं,
क्या इसी सब के खातिर
उसने इतना सब कुछ सहन किया ?
क्यूं दिन रात तपाया खुद को
क्यूं पल भर भी ना चैन लिया?
क्यूं अपनों की खातिर उसने
वार दिए सपने सारे ,
क्यूं परिवार की खुशियों पर
होम किया जीवन अपना सारा?
क्यूं आज नहीं कोई भी उसका
जो हाथ पकड़ दे उसे सहारा ?

क्या खता हुई उस बालक से
ये आज तलक ना जान सका,
वृद्धाश्रम के कोने पड़ी खाट को
ना अब तक वो बिसरा ही सका,
नन्हा बालक वो नन्हा बच्चा
जोह रहा है बाट अभी तक,
कब आएंगे उसके अपने
कब उसके दिन फिर जाएंगे,
सफेद झूठ सी आशा लेकर
वो फिर सपने बुनता है,
जीवन की इस सांझ की बेला में वो
अपनों की राह वो तकता है…

अपनों की राह वो तकता है…

संजय श्रीवास्तव
बालाघाट ( मध्य प्रदेश)

1 Like · 1 Comment · 566 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Er. Sanjay Shrivastava
View all
You may also like:
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
आजकल कल मेरा दिल मेरे बस में नही
कृष्णकांत गुर्जर
चंदा मामा और चंद्रयान
चंदा मामा और चंद्रयान
Ram Krishan Rastogi
बोध
बोध
Dr.Pratibha Prakash
"शौर्य"
Lohit Tamta
मन
मन
SATPAL CHAUHAN
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
पत्थर की लकीर नहीं है जिन्दगी,
Buddha Prakash
मेरी कलम
मेरी कलम
Dr.Priya Soni Khare
" मैं तन्हा हूँ "
Aarti sirsat
Memories
Memories
Sampada
हे परम पिता !
हे परम पिता !
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
■ सकारात्मकता...
■ सकारात्मकता...
*Author प्रणय प्रभात*
स्वप्न कुछ
स्वप्न कुछ
surenderpal vaidya
कुछ तेज हवाएं है, कुछ बर्फानी गलन!
कुछ तेज हवाएं है, कुछ बर्फानी गलन!
Bodhisatva kastooriya
जीवन चलती साइकिल, बने तभी बैलेंस
जीवन चलती साइकिल, बने तभी बैलेंस
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
नर को न कभी कार्य बिना
नर को न कभी कार्य बिना
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
2761. *पूर्णिका*
2761. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
थपकियाँ दे मुझे जागती वह रही ।
थपकियाँ दे मुझे जागती वह रही ।
Arvind trivedi
नारी
नारी
Dr fauzia Naseem shad
बारिश
बारिश
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
हमने भी मौहब्बत में इन्तेक़ाम देखें हैं ।
Phool gufran
गीत मौसम का
गीत मौसम का
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
जब प्रेम की परिणति में
जब प्रेम की परिणति में
Shweta Soni
दिल को समझाने का ही तो सारा मसला है
दिल को समझाने का ही तो सारा मसला है
shabina. Naaz
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी अकेले हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी अकेले हैं।
Neeraj Agarwal
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
मां के आंचल में कुछ ऐसी अजमत रही।
सत्य कुमार प्रेमी
चर्चित हो जाऊँ
चर्चित हो जाऊँ
संजय कुमार संजू
आओ ...
आओ ...
Dr Manju Saini
दर्द
दर्द
Satish Srijan
यूनिवर्सल सिविल कोड
यूनिवर्सल सिविल कोड
Dr. Harvinder Singh Bakshi
💐प्रेम कौतुक-347💐
💐प्रेम कौतुक-347💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
Loading...